Karwa Chauth : हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखती है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर चांद की पूजा करने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार को रात नौ बजकर तीस मिनट से शुरू होकर 1 नवंबर को रात नौ बजकर उन्नीस मिनट तक है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ्र का व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा. करवा चौथ की पूजा 1 नवंबर को शाम पांच बजकर चौवालीस मिनट से सात बजकर दो मिनट तक की जा सकती है. उस दिन चंद्रोदय आठ बजकर छब्बीस मिनट पर होगा
करवा चौथ की पूजा विधि: करवा चौथ की पूजा शाम के समय चंद्रोदय होने के बाद की जाती है। पूजा और व्रत की विधि के अनुसार, करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें शाम की पूजा के लिए गेरू से घर की दीवार पर फलक बनाएं और फलक पर करवा का चित्र बनाएं स बार करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को शाम 05.44 मिनट से रात 07.02 तक है. व्रती को पूजन के लिए 1 घंटे 17 मिनट का समय मिलेगा करवा चौथ का चांद 1 नवंबर 2023 को रात 08.26 मिनट पर निकलेगा. चंद्रमा की पूजा के बिना ये व्रत पूरा नहीं माना जाता है