भारतीय नौसेना : भारत की पनडुब्बी आईएनएस वागीर 7000 किलोमीटर का सफर तय कर ऑस्ट्रेलिया पहुंच गई है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई भारतीय पनडुब्बी ऑस्ट्रेलिया पहुंची है। इसे भारत की प्रशांत महासागर में बढ़ती दिलचस्पी से जोड़कर देखा जा रहा है। भारतीय नौसेना के दो युद्धपोत पहले से ही इस क्षेत्र में तैनात हैं। (आईएन) की पनडुब्बी आईएनएस वागिर ऑस्ट्रेलिया के बंदरगाह शहर फ्रेमेंटल 20 अगस्त को पहुंचेगी। यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना की पांचवीं कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी है, इसको जनवरी 2023 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और यह मुंबई में स्थित है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया प्रवास के दौरान, आईएनएस वागीर सबमरीन यहां के पश्चिमी तट पर रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (आरएएन) की यूनिट के साथ विभिन्न अभ्यासों में भाग लेगी. इसके साथ ही भारतीय नौसेना के जहाज और विमान ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर 11-21 अगस्त तक अभ्यास मालाबार 23 और 22-24 अगस्त तक ऑसइनडेक्स 23 (AUSINDEX) में शामिल हैं
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्रालय की चीनी सैटेलाइट्स पर नजर: EOS स्पेस सिस्टम डिफेंस कंपनी के जेम्स बेनेट ने बताया कि ग्राउंड बेस्ड एक्टिविटी के लिए 300 सैटेलाइट और 3 हजार फ्लाइट्स के जरिए मालाबार एक्सरसाइज का सर्वे किया गया। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया का डिफेंस डिपार्टमेंट चीन की निगरानी से अपने और बाकी देशों के वॉरशिप्स की जानकारी बचाने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है। साथ ही चीन के सैटेलाइट्स पर भी लगातार नजर रखी जा रही है।चीन इससे पहले भी मालाबार एक्सरसाइज की निगरानी कर चुका है। 2007 में उसने हिंद महासागर में युद्धाभ्यास पर नजर रखने के लिए एक स्पाई शिप भेजी थी। इसके बाद 2014 में भी बंगाल की खाड़ी में ऐसा ही एक जहाज भेजा गया था
1992 में पहली बार हुआ मालाबार अभ्यास: मालाबार अभ्यास साल 1992 में भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू किया गया था। फिर 2015 में इसमें जापान और 2020 में ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हो गया, जिससे इस युद्धाभ्यास की लोकप्रियता और बढ़ गई। चारों देशों ने दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन के बढ़ते सैन्य दखल से उत्पन्न वैश्विक चिंताओं के बीच यह युद्धाभ्यास किया था क्वाड देशों के मेंबर भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच इस वक्त मालाबार मिलिट्री एक्सरसाइज चल रही है। इस युद्धाभ्यास से चीन घबराया हुआ है। ऐसे में चीन ने अपने सैकड़ों लोअर ऑर्बिट सैटेलाइट्स को ऑस्ट्रेलिया के ऊपर मालाबार एक्सरसाइज की निगरानी करने के लिए तैनात कर दिया है।
भारतीय नौसेना ने दिखाई सामरिक ताकत: पनडुब्बी की गति के आधार पर बताया जा रहा है कि आईएनएस वागीर हर तीन से चार दिनों में सतह पर आती है, ताकि समुद्र की गहराई में फिर से डूबने से पहले कुछ घंटों के लिए अपनी बैटरी को रिचार्ज किया जा सके। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विस्तारित रेंज की तैनाती किसी भारतीय पनडुब्बी के ऑस्ट्रेलिया पहुंचने की पहली घटना है। यह बेस पोर्ट से लंबी अवधि तक विस्तारित रेंज पर निरंतर संचालन करने के लिए भारतीय नौसेना की क्षमता और पेशेवर कौशल को प्रदर्शित करती है। इससे पता चलता है कि भारतीय नौसेना पूरी दुनिया में जब और जहां चाहे, मिशन को अंजाम दे सकती ह/