डोम्माराजू गुकेश: 18 वर्षीय शतरंज प्रतिभा की ऐतिहासिक उपलब्धि
परिचय:
भारतीय शतरंज खिलाड़ी डोम्माराजू गुकेश ने 12 दिसंबर, 2024 को World Chess चैम्पियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने डिफेंडिंग चैंपियन और चीनी ग्रैंडमास्टर डिंग लिरेन को हराकर यह उपलब्धि हासिल की। केवल 18 वर्ष की आयु में यह खिताब जीतने वाले गुकेश न केवल सबसे युवा विश्व चैंपियन बन गए, बल्कि उन्होंने भारत को गौरव भी प्रदान किया। इस ऐतिहासिक जीत में साउथ अफ्रीका के मेंटल और कंडीशनिंग कोच पैडी अप्टन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
पैडी अप्टन की भूमिका:
गुकेश की इस ऐतिहासिक जीत में पैडी अप्टन ने मेंटल कंडीशनिंग कोच के रूप में मदद की। अप्टन, जो पहले भारतीय क्रिकेट टीम के साथ 2011 विश्व कप जीतने और भारतीय हॉकी टीम को 2024 पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में सहायक रहे हैं, ने गुकेश को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया। गुकेश ने बताया कि अप्टन के साथ काम करना उनके लिए बेहद मददगार और आनंददायक था।
अप्टन ने इस जीत के लिए गुकेश की रणनीतिक तैयारी और मानसिक मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने गुकेश को विभिन्न परिस्थितियों जैसे जीत के करीब होना, हार का सामना करना, और दबाव में खेलना जैसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार किया।
World Chess फाइनल का विश्लेषण:
World Chess चैम्पियनशिप 2024 का फाइनल सिंगापुर में आयोजित किया गया था। यह मुकाबला 14 गेम्स का था जिसमें गुकेश ने 14वें गेम में डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम किया। इस दौरान गुकेश ने काले मोहरों से खेलते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी को करारी शिकस्त दी। खेल के अंतिम क्षणों में, जब गुकेश को अपनी जीत का अहसास हुआ, वह भावुक हो गए।
ऐतिहासिक उपलब्धि:
गुकेश ने न केवल खिताब जीता, बल्कि वह इतिहास के सबसे युवा World Chess चैंपियन बन गए। उनसे पहले यह रिकॉर्ड रूसी ग्रैंडमास्टर गैरी कास्पारोव के नाम था, जिन्होंने 1985 में 22 साल की उम्र में खिताब जीता था।
सबसे युवा World Chess चैंपियन:
- डी गुकेश – 18 वर्ष, 8 महीने, 14 दिन (2024)
- गैरी कास्पारोव – 22 वर्ष, 6 महीने, 27 दिन (1985)
- मैग्नस कार्लसन – 22 वर्ष, 11 महीने, 24 दिन (2013)
गुकेश का सफर:
गुकेश का सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने कम उम्र में ही शतरंज में अपनी गहरी रुचि दिखायी और कई अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते। विश्वनाथन आनंद के बाद वह भारत के दूसरे विश्व चैंपियन बने। आनंद, जिन्होंने 2013 में अपना आखिरी World Chess टाइटल जीता था, गुकेश को उनकी इस सफलता पर बधाई दी।
पैडी अप्टन का इंटरव्यू:
अप्टन ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “गुकेश की परिपक्वता और आत्म-नियंत्रण ने पूरे टूर्नामेंट में उन्हें मजबूत बनाए रखा। हमने उनकी मानसिक तैयारी पर विशेष ध्यान दिया ताकि वह हर परिस्थिति का सामना कर सकें। चाहे वह जीत की स्थिति हो या हार का दबाव, गुकेश ने हर बार अपने दिमाग को शांत और फोकस्ड रखा।”
खेल के दौरान मानसिक मजबूती:
अप्टन ने गुकेश को मानसिक मजबूती प्रदान करने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि:
- दबाव के समय खुद को संभालना: जब विरोधी अपनी चालों की योजना बनाता है, तो खिलाड़ी को अपने दिमाग को शांत और फोकस्ड रखना चाहिए।
- रणनीति के अनुसार खेलना: जब खिलाड़ी बढ़त में हो या पीछे हो, तो अपनी मानसिकता को स्थिर रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है।
- अलग-अलग स्थितियों के लिए तैयार रहना: चाहे वह ड्रॉ की स्थिति हो, बढ़त हो, या दबाव में खेलना हो, हर स्थिति के लिए हमने अभ्यास किया।
भारतीय शतरंज में नया युग:
गुकेश की इस जीत ने भारतीय शतरंज में एक नया अध्याय जोड़ा है। World Chess इससे पहले विश्वनाथन आनंद भारतीय शतरंज के पर्याय माने जाते थे, लेकिन अब गुकेश ने नए मानदंड स्थापित किए हैं। उनकी जीत ने युवा भारतीय खिलाड़ियों को प्रेरणा दी है।
समापन:
डोम्माराजू गुकेश की इस जीत ने भारत को शतरंज के क्षेत्र में एक बार फिर से शीर्ष पर ला दिया है। उनकी सफलता न केवल उनके कठिन परिश्रम और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सही मार्गदर्शन और मानसिक तैयारी किसी भी खेल में कितना महत्वपूर्ण है। पैडी अप्टन के मार्गदर्शन और गुकेश की प्रतिभा ने इस ऐतिहासिक पल को संभव बनाया।
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