Bike Taxi बेंगलुरु सेवा: कर्नाटका HC का बड़ा फैसला, बनाना अनिवार्य!

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Bike Taxi पर कर्नाटका सरकार के प्रतिबंध पर हाई कोर्ट का कड़ा सवाल, ऑपरेटरों के आजीविका के अधिकार का समर्थन

कर्नाटका हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार द्वारा बाइक टैक्सी पर लगाए गए प्रतिबंध पर कड़ी आपत्ति जताई, इसे “पतला” और “कानूनी दृष्टिकोण से असमर्थ” बताते हुए। न्यायमूर्ति विभु बखरू की अगुवाई में बेंच ने यह टिप्पणी की कि बाइक टैक्सी एक विलासिता नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है, खासकर उन शहरों में जहां अंतिम-मील परिवहन की सस्ती सुविधा की आवश्यकता होती है।

कर्नाटका सरकार के Bike Taxi प्रतिबंध पर हाई कोर्ट की टिप्पणी
कर्नाटका राज्य सरकार ने बाइक टैक्सी ऑपरेटरों के खिलाफ जो प्रतिबंध लगाया है, उस पर कर्नाटका हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। “बाइक टैक्सी” को लेकर अदालत का यह मानना है कि यह सिर्फ एक यात्रा की सुविधा नहीं, बल्कि शहरों में अंतिम-मील परिवहन की आवश्यक सेवा बन चुकी है। कर्नाटका सरकार का तर्क था कि मोटर व्हीकल्स एक्ट के तहत बाइक टैक्सी की अनुमति नहीं दी जा सकती, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे नकारते हुए कहा कि इस तरह के कानून का अभाव बाइक टैक्सी की सेवा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का कारण नहीं हो सकता।

न्यायमूर्ति बखरू ने यह भी कहा कि बाइक टैक्सी ऑपरेटरों को उनके आजीविका के अधिकार से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन है। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि राज्य सरकार इस मामले पर उच्च स्तर पर नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू करे। कोर्ट ने अगले सुनवाई की तारीख 22 सितंबर तय की है।

Bike Taxi ऑपरेटरों के लिए राहत
इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद, कोर्ट ने अधिवक्ता जनरल को आदेश दिया कि फिलहाल बाइक टैक्सी चालकों के खिलाफ कोई भी दमनात्मक या सजा देने वाली कार्रवाई न की जाए। इसके बाद, Bike Taxi अधिवक्ता जनरल ने अदालत को आश्वस्त किया कि सरकार इस मामले पर जल्द ही एक नीति तैयार करेगी। इस फैसले से Bike Taxi ऑपरेटरों को बड़ी राहत मिली है, जो लंबे समय से सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे।

दूसरे राज्यों में Bike Taxiकी वैधता
कर्नाटका हाई कोर्ट ने यह भी देखा कि Bike Taxi कम से कम 13 अन्य भारतीय राज्यों में वैध रूप से चल रही हैं और शहरी गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण और कानूनी तरीका मानी जाती हैं। यह भी ध्यान में रखा गया कि Bike Taxiको कई राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है, जो इस सेवा को एक वैध और आवश्यक विकल्प के रूप में मान्यता देते हैं।

कर्नाटका सरकार की नीति पर सवाल
कोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि क्या कर्नाटका राज्य सरकार ने जानबूझकर बाइक टैक्सी को बाहर करने के लिए नीति बनाई है। यदि ऐसा है, तो इसके लिए मजबूत कानूनी तर्क की आवश्यकता है। अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार की नीतियों में कोई स्पष्ट कानूनी कारण नहीं है, तो वह नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ जा सकती है।

Bike Taxi वेलफेयर एसोसिएशन की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद, Bike Taxi वेलफेयर एसोसिएशन ने हाई कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया और कहा कि वे सरकार के साथ मिलकर सुरक्षित, कानूनी और सतत संचालन सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे। एसोसिएशन ने यह भी कहा कि वे सरकार के साथ मिलकर बाइक टैक्सी के संचालन को वैध और स्थिर बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

बाइक टैक्सी के भविष्य पर विचार
यह फैसला कर्नाटका सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह साफ तौर पर साबित करता है कि बाइक टैक्सी अब एक आवश्यक सेवा बन चुकी है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। Bike Taxi के ऑपरेटरों के लिए यह कदम राहत की तरह था, क्योंकि इससे उन्हें अपनी पेशेवर आजीविका बचाए रखने का मौका मिला। यह निर्णय शहरी परिवहन नीति और राज्य के विकास के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

कर्नाटका राज्य के बाइक टैक्सी ऑपरेटरों और आम नागरिकों के लिए यह फैसला सकारात्मक दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है, जिससे इस क्षेत्र में एक स्थिरता और कानूनी सुरक्षा मिलेगी।

निष्कर्ष
“Bike Taxi पर कर्नाटका सरकार का प्रतिबंध और कर्नाटका हाई कोर्ट का निर्णय भारतीय शहरों में शहरी परिवहन की दिशा और नीति पर एक महत्वपूर्ण प्रश्न चिह्न है। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि बाइक टैक्सी अब किसी भी शहरी परिवहन व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है। अब समय आ गया है कि राज्य सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक स्थिर और कानूनी नीति लागू करे, जो दोनों पक्षों—ऑपरेटरों और नागरिकों—के लिए लाभकारी हो।

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