व्हाट्सएप पर CCI का जुर्माना और विवाद
भारत में WhatsApp CCI Fine का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत की प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने व्हाट्सएप और उसकी मूल कंपनी मेटा पर ₹213.14 करोड़ का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना व्हाट्सएप की 2021 की विवादास्पद प्राइवेसी पॉलिसी के कारण लगाया गया है, जिसमें उपयोगकर्ताओं की डेटा साझेदारी से संबंधित मुद्दे उठाए गए थे।
2021 की प्राइवेसी पॉलिसी विवाद का कारण क्यों बनी?
जनवरी 2021 में, व्हाट्सएप ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी की घोषणा की थी, जिसमें उपयोगकर्ताओं को अधिक डेटा साझा करने की शर्त को स्वीकार करना अनिवार्य किया गया।
- भारतीय उपयोगकर्ता: उन्हें नई पॉलिसी को स्वीकार करना जरूरी था, अन्यथा वे व्हाट्सएप का उपयोग नहीं कर सकते थे।
- यूरोपीय उपयोगकर्ता: GDPR (जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन) के तहत यूरोपीय उपयोगकर्ताओं को यह पॉलिसी स्वीकार करने का विकल्प दिया गया था।
इस नीति से भारत में काफी विवाद हुआ। लाखों उपयोगकर्ताओं ने व्हाट्सएप छोड़कर सिग्नल और टेलीग्राम जैसे वैकल्पिक प्लेटफॉर्म पर जाने का निर्णय लिया।
WhatsApp CCI Fine का हस्तक्षेप
इस विवाद के बाद, 2021 में CCI ने स्वतः संज्ञान लेते हुए व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी की जांच शुरू की। आयोग ने पाया कि:
- यह नीति “टेक इट ऑर लीव इट” के आधार पर लागू की गई, जो अनुचित शर्तों को थोपने का संकेत देती है।
- व्हाट्सएप ने मेटा कंपनियों के साथ उपयोगकर्ता डेटा साझा किया, जिससे प्रतिस्पर्धा में बाधा उत्पन्न हुई।
CCI का आदेश और जुर्माना
WhatsApp CCI Fine ने मेटा और व्हाट्सएप पर कई निर्देश दिए:
- डेटा साझा करने पर रोक: अगले 5 वर्षों तक मेटा कंपनियों के साथ उपयोगकर्ता डेटा विज्ञापन उद्देश्यों के लिए साझा नहीं किया जाएगा।
- स्पष्टता और पारदर्शिता: व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी में यह स्पष्ट रूप से बताया जाएगा कि किस प्रकार का डेटा क्यों साझा किया जा रहा है।
- जुर्माना: ₹213.14 करोड़ का जुर्माना लगाया गया।
Meta का बयान
मेटा ने इस फैसले पर असहमति जताई और इसे चुनौती देने की योजना बनाई।
“हम मानते हैं कि 2021 की अपडेट से उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत संदेशों की प्राइवेसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यह अपडेट केवल वैकल्पिक व्यावसायिक सुविधाओं और डेटा उपयोग में पारदर्शिता लाने के लिए था।”
मेटा ने यह भी दावा किया कि व्हाट्सएप ने COVID-19 महामारी के दौरान सरकारी सेवाओं और छोटे व्यवसायों को सपोर्ट कर भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दिया।
व्हाट्सएप और मेटा का डेटा साझा करने का इतिहास
WhatsApp CCI Fine और मेटा (पहले फेसबुक) के बीच डेटा साझा करने का विवाद नया नहीं है।
- 2016: मेटा द्वारा व्हाट्सएप का अधिग्रहण करने के बाद, उपयोगकर्ताओं के फोन नंबर और लास्ट सीन एक्टिविटी को मेटा के साथ साझा किया गया।
- यूरोपीय संघ: GDPR के तहत उपयोगकर्ताओं को डेटा साझा न करने का विकल्प मिला, लेकिन भारत में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।
- 2021 की पॉलिसी: इस पॉलिसी में मेटा कंपनियों के साथ व्हाट्सएप के मेटाडेटा को साझा करना अनिवार्य कर दिया गया।
CCI का निष्कर्ष
सीसीआई ने पाया कि व्हाट्सएप का यह कदम प्रतिस्पर्धा के नियमों का उल्लंघन करता है।
- प्रतिद्वंद्वियों के लिए बाधा: व्हाट्सएप का डेटा साझा करने का कदम अन्य मैसेजिंग ऐप्स के लिए प्रवेश बाधा उत्पन्न करता है।
- यूजर्स का लॉक-इन: व्हाट्सएप की मजबूत पकड़ उपयोगकर्ताओं को विकल्पों पर जाने से रोकती है।
WhatsApp CCI Fine का प्रभाव
WhatsApp CCI Fine का यह मामला भारतीय डेटा प्राइवेसी कानूनों और उपयोगकर्ता अधिकारों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
- डाटा प्राइवेसी जागरूकता: यह जुर्माना उपयोगकर्ताओं को उनकी डेटा प्राइवेसी के अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक करेगा।
- अन्य कंपनियों पर प्रभाव: यह फैसला अन्य टेक कंपनियों के लिए चेतावनी है कि उन्हें डेटा उपयोग और साझा करने में पारदर्शिता लानी होगी।
क्या हो सकता है आगे?
व्हाट्सएप और मेटा ने इस आदेश को चुनौती देने की योजना बनाई है।
- कानूनी लड़ाई: मेटा दिल्ली उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में इस जुर्माने के खिलाफ अपील कर सकती है।
- डेटा प्राइवेसी बिल: भारत का प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल भी ऐसे मुद्दों को संबोधित कर सकता है।
निष्कर्ष
WhatsApp CCI Fine का मामला भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था और डेटा प्राइवेसी की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल उपयोगकर्ताओं के अधिकारों को सशक्त करेगा, बल्कि टेक कंपनियों को अधिक जिम्मेदार बनाएगा। इस मुद्दे पर आने वाले फैसले भारतीय डेटा प्रोटेक्शन कानूनों के लिए मिसाल बन सकते हैं।
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