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Union Budget 2025: वित्तीय घाटा क्या है? जानें सरल भाषा में

Union Budget 2025

Union Budget 2025 : वित्तीय घाटा और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

Union Budget 2025 जल्द ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को प्रस्तुत किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण अवसर से पहले, बजट से जुड़े एक प्रमुख विषय, वित्तीय घाटे (Fiscal Deficit) को समझना बेहद आवश्यक है। यह भारत की आर्थिक नीतियों और प्राथमिकताओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।


वित्तीय घाटा क्या है?

वित्तीय घाटा सरकार की कुल आय और कुल व्यय के बीच का अंतर है। सरल शब्दों में कहें तो, यह वह राशि है जिसे सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए उधार लेना पड़ता है, जब उसकी आय पर्याप्त नहीं होती। यह सरकार की वित्तीय सेहत का एक महत्वपूर्ण संकेतक है और इसका सीधा असर देश की आर्थिक स्थिरता पर पड़ता है।


भारत की अर्थव्यवस्था और वित्तीय घाटा

भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए, आर्थिक विकास, महंगाई और वित्तीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण है। Union Budget 2025 में वित्तीय घाटा एक महत्वपूर्ण विषय रहेगा।

सरकार की आय विभिन्न स्रोतों से आती है, जैसे:

दूसरी ओर, सरकार का खर्च कई आवश्यक सेवाओं और योजनाओं में होता है:

जब सरकार का खर्च उसकी आय से ज्यादा होता है, तो वित्तीय घाटा बनता है। इसे पूरा करने के लिए सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उधार लेती है।


वित्तीय घाटा और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

1. महंगाई पर असर:

जब सरकार अधिक खर्च करती है और उधार लेती है, तो बाजार में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ती है, जिससे महंगाई बढ़ने का खतरा होता है।

2. निजी निवेश पर प्रभाव:

सरकार के उधार लेने से ब्याज दरें बढ़ सकती हैं, जिससे निजी कंपनियों को सस्ता ऋण नहीं मिल पाता। यह निजी निवेश को हतोत्साहित कर सकता है।

3. बुनियादी सेवाओं पर प्रभाव:

वित्तीय घाटा कम रखने के लिए अगर सरकार खर्च में कटौती करती है, तो इसका असर बुनियादी सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और आधारभूत संरचना पर पड़ सकता है।

4. अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:

वित्तीय घाटे को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां और निवेशक बारीकी से देखते हैं। उच्च वित्तीय घाटा क्रेडिट रेटिंग और विदेशी निवेश पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।


Union Budget 2025 और वित्तीय घाटा

1. वित्तीय घाटे में संतुलन:

भारत सरकार को Union Budget 2025 में एक संतुलन बनाना होगा।

2. कोविड-19 के बाद की चुनौती:

कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए अधिक खर्च किया। अब चुनौती है कि वह इस खर्च को नियंत्रित करते हुए राजकोषीय अनुशासन बनाए रखे।

3. राजस्व बढ़ाने की रणनीति:

सरकार को अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए:


वित्तीय घाटा: विशेषज्ञों की राय

1. राजकोषीय अनुशासन:

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को वित्तीय घाटा कम करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि देश पर कर्ज का भार न बढ़े और आर्थिक स्थिरता बनी रहे।

2. विकासोन्मुख खर्च:

दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञ यह मानते हैं कि आर्थिक मंदी के समय सरकार को बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में अधिक खर्च करना चाहिए ताकि विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

3. अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का दृष्टिकोण:

अंतरराष्ट्रीय निवेशक और रेटिंग एजेंसियां भारतीय बजट को ध्यान से देखती हैं। वित्तीय घाटा कम करने की दिशा में उठाए गए कदम भारत की आर्थिक साख को मजबूत करेंगे।


निष्कर्ष

Union Budget 2025 के लिए वित्तीय घाटा चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय होगा। यह न केवल सरकार की आर्थिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी तय करता है कि देश किस दिशा में आगे बढ़ेगा।

जैसे-जैसे बजट की तारीख नजदीक आ रही है, सभी की नजरें इस बात पर हैं कि Union Budget 2025 में सरकार वित्तीय घाटे को कैसे प्रबंधित करेगी और यह देश के विकास को किस तरह प्रभावित करेगा।

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