Chhath Puja 2023: छठ के त्योहार में, जब भी खाजा का जिक्र होता है, तो सुपौल जिले के पिपरा बाजार का नाम तत्काल लोगों के बोलबाले में शामिल हो जाता है. पिपरा बाजार के खाजा में कुछ ऐसा है जो इसे कोसी-सीमाचंल से लेकर नेपाल और अन्य देशों में फेमस बना देता है. आइए, इस खास बाजार के खाजा निर्माताओं से मिलकर जानें कि इसमें क्या खास बातें हैं जो लोगों को इसके प्रति आकर्षित करती हैं.
छठ पूजा में खाजा का महत्व अत्यंत उच्च है, और पिपरा बाजार सुपौल शहर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस बाजार में आपको 50 से अधिक खाजा की दुकानें मिलेंगी. स्थानीय दुकानदारों के अनुसार, यहां खाजा बनाना आजादी से पहले ही शुरू हो गया था, और स्व. गौनी साह ने इस बिजनेस की शुरुआत की थी, इसलिए उन्हें पिपरा के खाजा का जनक माना जाता है. चंदन कुमार, एक व्यापारी, बताते हैं कि यहां का खाजा लंबा, पतला, और कई परतों में बहुत ही खासता से बनाया जाता है. इसे विशेष रूप से शुद्ध घी में बनाया जाता है, जिससे यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है. सामान्य दिनों में, पिपरा बाजार की सभी दुकानें मिलकर लगभग 12 क्विंटल खाजा बना लेती हैं, जबकि छठ पूजा के समय यह मात्रा कई गुना बढ़ जाती है।
छठ पर्व के आगमन के साथ ही, अब केवल कुछ ही दिन शेष हैं, और इसके साथ ही हर कोने में छठ पूजा की तैयारी आरंभ हो रही है। घर-घर में छठ मईया और सूर्य देव के गीतों की मधुर ध्वनि सुनी जा रही है। यह महापर्व, जो चार दिनों तक चलता है, उषा, प्रकृति, जल, वायु, और सूर्यदेव की बहन, षष्ठी माता को समर्पित है। इसमें विशेष रूप से सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है, और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
आज भी लोग इस महापर्व को भक्ति और पूर्ण श्रद्धा के साथ मना रहे हैं, जिसे लोकआस्था का महापर्व कहा जाता है। छठ पूजा के इस अद्वितीय मौके पर, लोग आपस में मिलकर विभिन्न रूपों में पूजा अर्चना करते हैं और सूर्य देव के प्रति अपनी अद्भुत श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं
छठ पर्व, जो पूरे चार दिनों तक चलता है, इसमें व्रती पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं, जिससे यह एक कठिन व्रत माना जाता है। छठ पर्व की शुरुआत इस साल 17 नवंबर 2023 को हो रही है, जब व्रती नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत करेंगे। इस महापर्व का समापन 20 नवंबर को होगा, जब व्रती ऊषा अर्घ्य और पारण के साथ छठ पूजा को समाप्त करेंगे।
छठ व्रत को सुहाग की लंबी आयु, संतान के सुखी जीवन, और घर में सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है। इस पर्व में व्रती विशेष पूजा-अर्चना और ध्यान के साथ छठी माता की आराधना करते हैं और अपनी प्रार्थनाएं सुनने के लिए आसमान की ओर उठते हैं। यह व्रत समृद्धि, स्वास्थ्य, और परिवार के सुख-शांति की कामना के साथ मनाया जाता है
छठ पूजा का अंतिम और चौथा दिन, यानी सप्तमी तिथि, में सूर्य को अर्घ्य देने का एक विशेष परंपरा है। इस साल, ऊषा अर्घ्य सोमवार, 20 नवंबर 2023 को होगी। इस दिन, सूर्योदय सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर होगा। इसके बाद, व्रती प्रसाद ग्रहण करके पारण करते हैं
छठ पूजा कैलेंडर 2023