Qatar कतर के जेल में कैद पूर्व भारतीय नौसैन्य कर्मियों को मुक्त कर दिया गया है।इस विषय पर विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है, “भारत सरकार उन आठ भारतीय प्रवासियों की मुक्ति का स्वागत करती है जो दाहरा ग्लोबल कंपनी में काम करते हुए कतर में नजरबंद थे।”इनमें से सात व्यक्ति भारत वापसी कर चुके हैं। हम कतर के शासक द्वारा इन नागरिकों की रिहाई और उन्हें घर भेजने के निर्णय का आदर करते हैं।”
इन आठ भारतीयों की गिरफ्तारी ने दोनों देशों के मध्य राजनयिक तनाव को बढ़ावा दिया था। कतर ने इन भारतीयों को अगस्त 2022 में हिरासत में लिया था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया गया था
PM Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर, शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से बैठक की थी। हाल में, कतर की न्यायालय ने इन आठ पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में माफ कर दिया गया। भारत और कतर के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, और दोनों देशों के बीच मजबूत वाणिज्यिक बंधन भी हैं। इस संदर्भ में, भारत ने इस मुद्दे पर कतर से संवाद जारी रखा। पीएम मोदी ने पिछले वर्ष दिसंबर में दुबई में आयोजित COP 28 सम्मेलन के इतर, कतर के अमीर से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में पीएम मोदी ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई के मुद्दे पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी इस मुलाकात के बारे में बताया और कहा कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर एक सार्थक वार्ता हुई।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि पूर्व नौसैनिकों की मुक्ति उस समय हुई जब हाल ही में भारत और कतर के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता संपन्न हुआ था। इस समझौते के अनुसार, भारत अगले 20 वर्षों तक कतर से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) आयात करेगा, जिसकी कुल लागत 78 अरब डॉलर आंकी गई है। भारत की पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (PLL) ने कतर की राष्ट्रीय कंपनी, कतर एनर्जी के साथ यह सौदा किया है। इस समझौते के मुताबिक, कतर प्रति वर्ष भारत को 7.5 मिलियन टन गैस की आपूर्ति करेगा, जिसका उपयोग भारत में बिजली उत्पादन, उर्वरक निर्माण और सीएनजी के उत्पादन में किया जाएगा।
कतर की सरकार ने उन आठ नौसैनिकों पर लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया। परंतु, द फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, इन्हें कतर के पनडुब्बी कार्यक्रम के संबंध में इजरायल के लिए जासूसी करने के शक में हिरासत में लिया गया था। भले ही भारत सरकार ने इन आरोपों पर कोई विशेष टिप्पणी नहीं की, उसने अपने नागरिकों के साथ न्यायोचित और मानवीय व्यवहार करने की महत्वपूर्णता पर बल दिया।
जानकारी के मुताबिक, जेल से मुक्त किए गए ये पूर्व नौसैनिक दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज के लिए कार्यरत थे। कतर सरकार ने इन्हें पिछले वर्ष हिरासत में लिया था और बाद में इस कंपनी को भी बंद कर दिया गया। गिरफ्तार किए गए भारतीयों में कमांडर (सेवानिवृत्त) पूर्नेंदु तिवारी, कैप्टन (सेवानिवृत्त) नवतेज सिंह गिल, कमांडर (सेवानिवृत्त) बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन (सेवानिवृत्त) सौरभ वशिष्ठ, कमांडर (सेवानिवृत्त) सुग्नाकर पकाला, कमांडर (सेवानिवृत्त) अमित नागपाल, कमांडर (सेवानिवृत्त) संजीव गुप्ता, और नाविक रागेश शामिल थे।
ये आठ वीर कौन हैं: समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, दोहा में स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एक निजी कंपनी है जो कतर के सैन्य बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और विभिन्न सेवाएँ प्रदान करती है। इस कंपनी में कार्यरत थे भारतीय नौसेना के पूर्व कैप्टन नवतेज गिल, सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा, सुगुनाकर पकाला और नाविक रागेश। इन सभी को अगस्त 2022 में निर्दिष्ट नहीं किए गए आरोपों पर हिरासत में लिया गया था। इनमें से कैप्टन नवतेज गिल को पहले ही उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।|
इस दौरान, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इन आठ भारतीयों के परिवारों से भी मुलाकात की थी।
इन पूर्व नौसैनिकों की रिहाई के लिए केंद्र सरकार पर निरंतर दबाव बढ़ रहा था, जिसमें कांग्रेस, AIMIM और अन्य विपक्षी दलों ने इन भारतीयों को जल्द से जल्द भारत वापस लाने की मांग की थी। यह रिहाई ऐसे समय पर हुई जब हाल ही में भारत और कतर के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष दिसंबर में कतर के अमीर, शेख तमीम बिन हम्द अल-थानी के साथ दुबई में आयोजित COP28 सम्मेलन के दौरान एक महत्वपूर्ण बैठक की थी। इस मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने कतर में रह रहे भारतीय समुदाय की कुशलता जानने के साथ-साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की।इस बैठक को इसलिए भी अहम माना गया क्योंकि उस समय कतर की जेल में भारतीय पूर्व नौसैनिक बंद थे।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस बैठक के बारे में बताया और कहा कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर एक सार्थक वार्ता हुई।इन पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा दिए जाने के बारे में भारत ने अपनी स्तब्धता व्यक्त की थी और कहा था कि वह सभी कानूनी विकल्पों पर काम कर रहा है।