हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक घर कुछ महीनों में बनता है, एक सड़क कुछ वर्षों में बनती है. एक हाईवे कई साल में बनता है, एक पुल बनने में लंबा वक्त लगता है, लेकिन पुल, सड़क, हाईवे, घर, मंदिर, आस्था के केंद्र और जिंदगी सबकुछ तबाह होने में कुछ घंटे लगते हैं. शिमला से लेकर कुल्लू, कांगड़ा, मंडी और मनाली तक यही हाल है. पहले जुलाई, फिर अगस्त. हिमाचल 2 महीनों में दर्जनों लैंडस्लाइड, 20 से दा बादल फटने की आपदा झेल चुका है. इस दौरान 300 से ज्यादा मौत हो चुकी हैं पहाड़ों में बढ़ता कंस्ट्रक्शन और घटता वन क्षेत्र हिमालय की उम्र घटा रहा है। इसके पहाड़ दरक रहे हैं। हिमाचल इसका उदाहरण है। यहां दो साल में भूस्खलन की घटनाएं 6 गुना बढ़ गई हैं। इस मानसून के 55 दिन में 113 बार भूस्खलन हुआ है। बारिश और लैंडस्लाइड से जुड़ी घटनाओं में 330 लोगों की मौत हो चुकी है।
कांगड़ा जिले में 309 लोगों को सुरक्षित बचाया: पौंग बांध से छोड़े गए पानी से कांगड़ा के इंदौरा और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्रों में आई बाढ़ के दूसरे दिन भी वायुसेना के हेलिकाप्टर और अन्य माध्यमों से 309 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है। हेलिकाप्टर से घरों की छतों पर राहत सामग्री भी उतारी गई। प्रदेश में पिछले चार दिन के भीतर 70 लोगों की मौत हो चुकी है। 24 जून को हिमाचल में मानसून के पहुंचने के बाद अब तक 330 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
शिव बावड़ी मंदिर के मलबे से एक और शव निकाला:गुरुवार को राजधानी शिमला के समरहिल में भूस्खलन से जमींदोज हुए शिव बावड़ी मंदिर के मलबे से एक और शव निकाला गया है। मृतकों की संख्या अब 14 पहुंच गई है। मृतक की पहचान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीएल शर्मा के तौर पर हुई है। शव घटना स्थल से दो किलोमीटर दूर मिला है। पीएल शर्मा की पत्नी का शव पहले मिल गया था
आखिर क्यों दरक रहे हैं ये पहाड़: विशेषज्ञों का कहना है कि पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालय में अवैज्ञानिक निर्माण, घटते वन क्षेत्र और पानी के प्रवाह को अवरुद्ध करने वाली नदियों के पास लगातार निर्माण हो रहे हैं, जो कि लगातार भूस्खलन का कारण बन रही हैं. सड़कों के निर्माण और चौड़ीकरण के लिए पहाड़ी ढलानों की व्यापक कटाई, सुरंगों और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए होने वाले विस्फोट में वृद्धि भी इसका मुख्य कारण हैं. हिमाचल में केवल 5-10 फीट की रिटेनिंग दीवारों के साथ सड़क निर्माण के लिए पहाड़ों की कटाई की जा रही है
हिमाचल में 17,120 लैंडस्लाइड संभावित क्षेत्र: हिमाचल में लैंडस्लाइड संभावित क्षेत्र बढ़कर 17,120 हो गए हैं। इनमें भी 675 के किनारे इंसानी बस्तियां हैं। शिमला में कई सरकारी भवन भूस्खलन के खतरे की जद में हैं। हिमाचल में 68 सुरंगें बन रही हैं। इनमें 11 बन चुकी हैं, 27 निर्माणाधीन हैं और 30 विस्तृत परियोजना की रिपोर्ट तैयार हो रही हैं। इनमें कई प्रोजेक्ट केंद्र के हैं। इससे राज्य में भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्र बढ़ेंगे
अगले 24 घंटे कैसे रहेंगे: