रूस के मून मिशन लूना-25 को चांद तक पहुंचने में करीब 10 दिन लगेंगे: रूस ने 11 अगस्त 2023 (मॉस्को समय के अनुसार) को लूना-25 लॉन्च किया है, वहीं भारत ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 चांद के लिए रवाना किया है. जानकार कहते हैं कि ये दोनों ही मिशन लगभग समान वक्त चांद पर अपना-अपना लैंडर उतारेंगे.पृथ्वी की कक्षा में पहला सैटलाइट स्थापित करने, अंतरिक्ष में पहली बार इंसान को भेजने और मानवरहित मिशन को चांद पर उतारने के मामले में रूस बाज़ी मार ले गया. लेकिन अपोलो मिशन के ज़रिए अमेरिका ने चांद की सतह पर पहली बार इंसान को उतारा और ये बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली.
लूना-25 में हाई-पावर रॉकेट लगा है जो ज्यादा ईंधन ले जा सकता है। रूस ने इसमें सोयुज 2.1 रॉकेट लगाया है। ये 46.3 मीटर लंबा है। 10.3 मीटर व्यास वाले इस रॉकेट का वजन 313 टन है। चार चरणों के इस रॉकेट ने ‘लूना-25’ लैंडर को धरती के बाहर एक गोलाकार कक्ष में छोड़ दिया। यह इसे चांद की सतह तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त ताकत देता है। सोयुज रॉकेट की वजह से लूना-25 को धरती की कक्षा में इंतजार नहीं करना पड़ा। ऐसे में दुनिया भर में लोग ये देखने का इंतज़ार कर रहे हैं कि भारत या रूस में से कौन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लैंडर सबसे पहले और सफलतापूर्व उतारेगा चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त, 2023 को सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। रूस का स्पेसक्राफ्ट लूना-25 उससे दो दिन पहले, 21 अगस्त को चांद की सतह पर उतर सकता है।,
नील आर्मस्ट्रॉन्ग: File Photos: