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Today News Update Chandrayaan-3 : चांद पर 47 साल बाद जा रहा रूस, जानें क्‍या है लूना 25 मिशन चंद्रयान-3 से किस तरह है अलग

 रूस के मून म‍िशन लूना-25 को चांद तक पहुंचने में करीब 10 दिन लगेंगे:  रूस ने 11 अगस्त 2023 (मॉस्को समय के अनुसार) को लूना-25 लॉन्च किया है, वहीं भारत ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 चांद के लिए रवाना किया है. जानकार कहते हैं कि ये दोनों ही मिशन लगभग समान वक्त चांद पर अपना-अपना लैंडर उतारेंगे.पृथ्वी की कक्षा में पहला सैटलाइट स्थापित करने, अंतरिक्ष में पहली बार इंसान को भेजने और मानवरहित मिशन को चांद पर उतारने के मामले में रूस बाज़ी मार ले गया. लेकिन अपोलो मिशन के ज़रिए अमेरिका ने चांद की सतह पर पहली बार इंसान को उतारा और ये बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली.
लूना-25 में हाई-पावर रॉकेट लगा है जो ज्यादा ईंधन ले जा सकता है। रूस ने इसमें सोयुज 2.1 रॉकेट लगाया है। ये 46.3 मीटर लंबा है। 10.3 मीटर व्यास वाले इस रॉकेट का वजन 313 टन है। चार चरणों के इस रॉकेट ने ‘लूना-25’ लैंडर को धरती के बाहर एक गोलाकार कक्ष में छोड़ दिया। यह इसे चांद की सतह तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त ताकत देता है। सोयुज रॉकेट की वजह से लूना-25 को धरती की कक्षा में इंतजार नहीं करना पड़ा।  ऐसे में दुनिया भर में लोग ये देखने का इंतज़ार कर रहे हैं कि भारत या रूस में से कौन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लैंडर सबसे पहले और सफलतापूर्व उतारेगा चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्‍त, 2023 को सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। रूस का स्‍पेसक्राफ्ट लूना-25 उससे दो दिन पहले, 21 अगस्‍त को चांद की सतह पर उतर सकता है।,

नील आर्मस्ट्रॉन्ग: File Photos:

लूना-25 और चंद्रयान-3  दोनों से कौन चांद पर पहले लैंडिंग करेगा:  लूना-25 में हाई-पावर रॉकेट लगा है जो ज्यादा ईंधन ले जा सकता है। रूस ने इसमें सोयुज 2.1 रॉकेट लगाया है। ये 46.3 मीटर लंबा है। 10.3 मीटर व्यास वाले इस रॉकेट का वजन 313 टन है। चार चरणों के इस रॉकेट ने ‘लूना-25’ लैंडर को धरती के बाहर एक गोलाकार कक्ष में छोड़ दिया। यह इसे चांद की सतह तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त ताकत देता है। सोयुज रॉकेट की वजह से लूना-25 को धरती की कक्षा में इंतजार नहीं करना पड़ा।

चांद पर भारत का पड़ोसी बनेगा रूस: लूना-25 के लैंडर को करीब साल भर तक चांद की सतह पर रहकर स्टडी करना है। वहीं,चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर की मिशन लाइन चंद्रमा के एक दिन के बराबर (धरती के 14 दिन) है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में वैज्ञानिकों की दिलचस्पी इसलिए है क्योंकि उन्‍हें लगता है यहां   पर बर्फ जमा हो सकती है। ऐसा हुआ तो उससे ईंधन, ऑक्सीजन और पीने का पानी निकाला जा सकता है।लेकिन माना जा रहा है कि लूना-25 की यात्रा थोड़ी धीमी हो सकती है  कि वो चांद तक पहुंचने में थोड़ा अधिक वक्त ले. ऐसे में ये बिल्कुल संभव है कि चंद्रयान-3 का लैंडर पहले चांद की सतह पर लैंड करे. हाल के दिनों में चांद पर पानी के होने के संकेत पाए गए हैं जिसके बाद वैज्ञानिकों में उत्साह है. उनका मानना है कि भविष्य में चांद पर बेस बनाना हो तो इस जमे हुए पानी के हाइड्रोजन से ईंधन तैयार किया जा सकता है. एक वजह ये भी है कि हो सकता है कि इस पानी को भविष्य में पीने लायक बनाया जा सकेगा.

14 जुलाई 2023 को भारत के चंद्रयान ने पृथ्वी से उड़ान भरी. चांद की सतह से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए इसमें वैज्ञानिक उपकरणों के साथ-साथ छह चक्कों वाला एक रोवर भी है.उम्मीद की जा रही है कि चांद की कक्षा में कई बार चक्कर लगाते हुए ये पहले चांद पर उतरने की तैयारी करेगा और फिर लैंडर 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरेगा.वहीं रूस का लैंडर लूना-25, 11 अगस्त को चांद के लिए रवाना हुआ है. ये सीधे रास्ते से और चंद्रयान की अपेक्षा बेहद तेज़ गति से चांद की तरफ जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि ये लॉन्च होने के 10 दिनों के भीतर ही चांद तक पहुंच जाएगा.

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