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Today News UP Agra Accident 2023 : उत्तर प्रदेश आगरा के नेशनल हाईवे पर हुए हादसा में 5 लोगों की मौत ट्रैक के मारी ऑटो में टक्कर

Uttar Pardesh : उत्तर प्रदेश में, कानपुर और प्रयागराज के बाद, अब आगरा की सड़कें सबसे ज्यादा खतरनाक हो रही हैं। आगरा में नेशनल हाईवे पर हुए हादसों के आंकड़े चिंताजनक हैं। इस क्षेत्र में पिछले 6 सालों में सात बड़े हादसे घटित हो चुके हैं, जिनमें 28 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई है। इन हादसों में 3300 लोगों ने अपने प्राणों को खो दिया है। इसका मतलब है कि प्रति वर्ष सड़क हादसों में लगभग 550 से अधिक जीवनें जा रही हैं। साल 2023 के नवंबर तक, हाईवे पर हुई विभिन्न हादसों में 480 मौतें हो चुकी हैं, जबकि दिसंबर अभी बाकी है। 2022 में सड़क हादसों में 550 से अधिक मौतें हो चुकी थीं, जबकि 700 से अधिक लोग हादसों में घायल हो गए थे
Road Accident के बाद Agra-Delhi Highway पर लंबा जाम

नेशनल हाईवे पर हुए हादसों के बाद, स्थानीय लोग डर में डाले हुए हैं। स्थानीय लोगों ने बताया है कि पुलिस ने हाल ही में यहां यातायात को पूरी तरह से बंद कर दिया है। इस के बावजूद, पुलिस ने लोगों को यातायात के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल भिन्न है। शनिवार को नेशनल हाईवे-19 पर हुआ दर्दनाक हादसा इसका एक उदाहरण है। आरटीओ प्रवर्तन आलोक कुमार ने बताया कि शहर और गाँवों में ऑटो चलने की अनुमति है, लेकिन नेशनल हाईवे पर ऑटो चलाना निषिद्ध है। इसके बावजूद, पुलिस ने ऑटो वालों को रोका नहीं।

स्‍थानीय लोगों ने अपनी पहचान छिपाते हुए बताया कि क्षेत्र में जो भी बड़ी वारदात होती है, उस पर ध्‍यान तब तक नहीं दिया जाता है, जब तक कि उच्‍च अधिकारी इसे न देखें। इसके बावजूद, स्थानीय पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा नहीं किया जाता है। जिले की पुलिस व्यवस्‍था ने शनिवार को हुए हादसे का जिम्मेदारी ली है। सड़क हादसों पर पुलिस हल्के में लेती है। इसके परिणामस्वरूप, चौराहों पर अतिक्रमण के कारण रोजगारी जाम में फंस जाती है। ऐसा नहीं है कि पुलिस इसके बारे में जानकारी नहीं रखती है। अधिकारियों की टोकाटाकी के बाद, पुलिस क्रियावली में आती है, एक अभियान चलाती है और फिर शांति स्थापित हो जाती है।

NH : नेशनल हाइवे पर लगभग एक दशक से खूनी हाइवे की चिन्हितता बनी हुई है। यह समस्या अब भी सिक्स लेन बनने के बावजूद बनी हुई है। इसके साथ ही, यहां की योजना पर भी सवाल उठने लगे हैं। शहर के निवासियों का कहना है कि यदि ऊपर से ही ट्रैफिक निर्वाहित होता, तो यह समस्या नहीं होती। अन्य शहरों में भी ऐसा ही हुआ है। यहां कानपुर का उदाहरण लें, जहां भगवान टॉकीज फ्लाईओवर और जवाहर पुल पुराने हैं। खंदारी, सुल्तानगंज की पुलिया और वाटर वर्क्स फ्लाईओवर को मंजूरी मिलने के बाद, हादसों का खतरा बढ़ गया है। आईएसबीटी पर दो दिन में 11 लोगों की मौत हुई और उसके परिणामस्वरूप वहां एक नया फ्लाईओवर बना दिया गया है

हादसे के लगभग 2 घंटे बाद, आगरा पुलिस ने कार्रवाई करने का निर्णय लिया। भगवान टॉकीज चौराहे पर, एसीपी ट्रैफिक अरीब अहमद के नेतृत्व में, एक अभियान आयोजित किया गया। इसके दौरान पुलिस ने सभी वाहनों पर कार्रवाई की, जो मानकों का उल्लंघन कर रहे थे। ट्रैफिक पुलिस ने लगभग 40 ऑटो रोके और उनमें से ज्यादा सवारियों को ऑटो से उतारा गया। वहां मौजूद ऑटो चालकों ने जो अतिरिक्त सीटें लगा रखी थीं, उन्हें भी बाहर कर दिया गया और कई ऑटों के खिलाफ चालान भी किए गए।

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