Meerut News : मेरठ में सोमवार दोपहर सम्राट मिहिर भोज की जयंती पर निकाली जा रही यात्रा में बवाल हो गया। राजपूत करणी सेना ने गुर्जर की इस यात्रा का विरोध किया। प्रशासन ने भी धारा-144 का हवाला देकर यात्रा की परमिशन नहीं दी थी। पुलिसकर्मियों ने इन्हें रोकने की कोशिश की, तो पहले कहासुनी हुई। फिर पुलिस और गुर्जर समाज के लोगों में जमकर धक्का-मुक्की हुई। विवाद बढ़ता देखकर कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंच गई
ऐसे शुरू हुआ विवाद: सोमवार को विधायक अतुल प्रधान, मुखिया गुर्जर, आकाश गुर्जर, कुलविंदर सहित समाज के तमाम नेता और युवा मवाना महादेव मंदिर पर जुटने लगे। महादेव मंदिर पर पहले से ही काफी संख्या में फोर्स तैनात थी। यहीं SP देहात, एसडीएम भी थे लिस, प्रशासन ने माल्यार्पण करने को कहा, लेकिन यात्रा की इजाजत नहीं दी। नेता अड़ गए कि हम पूरे जुलूस के रूप में ही सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति तक जाएंगे। बाद में पुलिस, प्रशासन ने कहा कि बसों में बैठकर शांति से सभी लोग मूर्ति तक जाएं और माल्यार्पण कर लें। लेकिन समाज के लोग नहीं मानेथाना प्रभारी मवाना ने बताया कि जुलूस यात्रा के लिए प्रशासन से अनुमति नहीं दी गई है। जिले में धारा-144 लागू है। इस तरह का आयोजन शासन से दिए गए निर्देशों का उल्लंघन है राज्यमंत्री दिनेश खटीक का कहना है कि सोमवार को कोई यात्रा नहीं निकाली जाएगी। सभी लोग सीधे थाना तिराहे पर पहुंचकर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर लौट जाएंगे। SSP रोहित सिंह सजवाण का कहना है कि मूर्ति पर माल्यार्पण का आयोजन था। शोभायात्रा की अनुमति थी
सम्राट मिहिर भोज कौन : ग्वालियर के MLB कॉलेज के हिस्ट्री प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार बताते हैं कि इतिहास में सम्राट मिहिर भोज का उल्लेख राजपूत सम्राट के रूप में किया जाता है, जो गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक थे। राजपूत कौन हैं? इसकी परिभाषा क्या है? इसका कोई जिक्र नहीं है। दूसरों की रक्षा करने वाला भी राजपूत होता है। साथ ही सम्राट और राजा सबका होता है गुर्जर-प्रतिहार वंश के संस्थापक नागभट्ट प्रथम (730-756 ईस्वी) थे। इसके बाद नागभट्ट द्वितीय और रामभद्र गद्दी संभाली। रामभद्र के बेटे मिहिर भोज (836-885 ईस्वी) थे। मिहिर भोज इस वंश के सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक थे। भोज ने उत्तर भारत में एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया था। जयपुर क्षेत्र का गुहिलोत शासक हर्षराज भी उनके सामंत थे। दक्षिण में उनका साम्राज्य नर्मदा नदी तक था। उन्होंने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाई। ग्वालियर अभिलेख में जिक्र है- ‘अगस्त ऋषि ने तो केवल विंध्य पर्वत का विस्तार रोक किया था, लेकिन सम्राट मिहिर भोज ने कई राजाओं पर आक्रमण कर उनका विस्तार रोक दिया