UP Politics:ओवैसी ने ट्वीट करके अखिलेश यादव पर सवाल उठाए हैं। जिस अंदाज में ओवैसी ने अखिलेश को तंज कसते हुए लिखा। उसमें साफ संदेश दिया कि बीजेपी की सरकार मुसलमानों को हिंसा और नाइंसाफी का निशाना बना रही है। ओवैसी ने अखिलेश पर तंज करते हुए लिखा कि उन्हें सांड़ समाचार से फुरसत मिल नहीं रही। ओवैसी ने यह भी कहा कि गलती भैया कि नहीं, गलती तो उन बिचौलियों की है, जिन्होंने डरे हुए मुसलमानों को गुमराह किया है।ओवैसी ने मुसलमानों को साफ संदेश दिया कि उनका वोट समाजवादी पार्टी को किया जाएगा तो वह गुमराह कहलाएंगे। फिलहाल, ओवैसी ने यह भी लिखा ‘एक आजाद सियासी आवाज के सिवा हमारा कोई और विकल्प नहीं है।’ मुसलमान एकतरफा रिकॉर्ड तोड़ सपा को वोट न करें। राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि ओवैसी ने जिस अंदाज में मुसलमानों को गुमराह न होने की सलाह दी है। उससे तो साफ है वह वोट में बिखराव कर सपा का खेल बिगाड़ना चाहते हैंसपा नेता मनोज पांडे से जब ये सवाल किया गया है कि असदुद्दीन ओवैसी का आरोप है कि अखिलेश यादव मुस्लिमों को गुमराह कर रहे हैं. मुस्लिमों ने विधानसभा में सपा के एकतरफा वोट किया, लेकिन वो रीयल हिन्दुत्व को बचाने की बात कर रहे हैं. इसके जवाब में सपा नेता ने कहा कि ‘ये देश जानता है कुछ लोग ए टीम में काम कर रहे हैं कुछ लोग बी टीम में काम कर रहे हैं, कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना. इससे काम नहीं चलेगा, देश आज महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी से जूझ रहा है. इन मुद्दों से गुजर रहा है हमारे तमाम नौजवान भाईयों से पूछिए जो बड़ी मेहनत से यहां तक आया और आज वो निराश है.
ओवैसी ने साफ किया कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस ही मुसलमानों के वोट बैंक के दावेदार नहीं हैं। उनकी पार्टी AIMIM भी दावेदार है। राजनीतिक जानकार करते हैं कि अगर मुसलमानों के वोट बैंक में बिखराव हुआ तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होता है। मेरठ, मुरादाबाद के नगर निगम महापौर चुनाव में AIMIM के उम्मीदवार के चुनाव लड़ने की वजह से सपा का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर पहुंच गया। मेरठ के निकाय चुनाव के इस परिणाम ने सबको चौंका कर रख दिया। यहां पर बीजेपी का मेयर प्रत्याशी जीता था।
मुसलमानों के एकजुट होने का फायदा सपा को मिला, सवाल 2024 में मुस्लिम किसके साथ : आंकड़े बताते हैं कि मुसलमानों का सपा के साथ एकजुट होने का फायदा 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को मिला। सपा 47 सीटों से बढ़कर 111 सीटों पर पहुंच गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 83 फीसदी मुस्लिम सपा के साथ थे। बसपा और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मुसलमानों ने वोट नहीं किया था। असदुद्दीन औवैसी की पार्टी AIMIM को भी मुस्लिमों ने नकार दिया था। इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय ने किसी एक पार्टी को 1984 चुनाव के बाद वोट किया था।
इन सीटों पर रहेगी खास नजर: मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, कैराना, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बरेली, मेरठ, सम्भल, बलरामपुर, मऊ, बदायूं, बहराइच, बुलंदशहर, गाजियाबाद, बाराबंकी जैसी लोकसभा सीटों पर अच्छी-खासी मुस्लिम आबादी है। यूपी की मौजूदा विधानसभा में मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से सर्वाधिक तीन विधायक मुस्लिम हैं। इसी तरह रामपुर, कानपुर, बहराइच व आजमगढ़ से दो-दो मुस्लिम विधायक हैं। जाहिर है यह मुस्लिम विधायक भी अपने क्षेत्र में मुस्लिम वोटों की गोलबंदी में जुटेंगे ही।