मसूरी को बचाने की सिफारिश है : उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन दरकने की घटनाओं के बाद मसूरी के हालात जानने के लिए एक समिति की गठधन किया गया था. अब इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है इसमें उसने राज्य सरकार से कहा कि मसूरी को बचा लीजिए
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस साल की शुरुआत में जोशीमठ में भू-धंसाव के संकट को मसूरी के लिए चेतावनी बताने वाली एक खबर के मद्देनजर एनजीटी ने मसूरी की वहन क्षमता का अध्ययन करने के लिए इस पैनल का गठन किया था. पैनल ने पनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है, जिसमें कई उपाय-सुझाए दिए गए हैं. क्षेत्र की वहन क्षमता, खासकर पार्किंग और गेस्ट हाउस की उपलब्धता को देखते हुए पर्यटकों का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए. मसूरी घूमने के लिए पर्यटकों से शुल्क लिया जा सकता है और उस धन का इस्तेमाल कूड़े और सफाई के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है.
जोशीमठ के रास्ते पर भीड़ कम करने की सलाह : गढ़वाल हिमालय की तलहटी पर स्थित मसूरी भूकंप की दृष्टि से जोन चार में आता है. इस दृष्टि से रिपोर्ट में उसे जोशीमठ के रास्ते पर जाने से बचाने के लिए कई एहतियाती और उपचारात्मक कदम उठाने का सुझाव दिया गया है. भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में पहाड़ों के नीचे से बोल्डर न हटाने और ढलानों पर दिखने वाली दरारों को भरने का सुझाव भी रिपोर्ट में दिया गया है रिपोर्ट में कहा कि यहां सुरंग तथा होटल और अस्पताल जैसे अन्य बड़े निर्माण की अनुमति दिए जाने से पहले विस्तृत इंजीनियरिंग, भूवैज्ञानिक नुकसान से बचाया जा सके. मसूरी आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ रही है. 2022 में यहां 1,17,389 सैलानी पहुंचे थे.