भारतीय वायुसेना के पायलट स्क्वाड्रन लीडर विपुल शर्मा ने बताया : श्रीनगर कश्मीर घाटी के मध्य में स्थित है और इसकी ऊंचाई मैदानी इलाकों से अधिक है. ऐसे में अधिक वजन-से-जोर अनुपात और सीमा के निकट होने के कारण कम प्रतिक्रिया समय वाला विमान यहां रखना रणनीतिक रूप से बेहतर है. ये बेहतर एवियोनिक्स और लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस है. मिग-29 इन सभी मानदंडों पर खरा उतरता है जिसके कारण हम दोनों मोर्चों पर दुश्मनों से लोहा लेने में सक्षम हैं. चीन और पाकिस्तान:कश्मीर घाटी का नया रक्षक मिग-29 के सामने अब पाकिस्तान और चीन दोनों दुश्मनों से निपटने की चुनौती है. इसलिए श्रीनगर एयर बेस पर मिग-29 यूपीजी के लड़ाकू पायलट 6 मिनट के अंदर 24 घंटे तैयार रहते हैं. भारतीय वायु सेना इस साल से 2025 तक मिग-21 बाइसन की 4 स्क्वाड्रनों को सेवानिवृत्त करेगी
नए मिग 29 की होगी तैनाती: इसी साल जनवरी में आधुनिक उन्नत मिग-29 यूपीजी विमानों को कश्मीर घाटी में तैनात किया गया था. अब उन्नत मिग-29 यूपीजी विमान कश्मीर घाटी के नए रक्षक बन गए हैं. भले ही भारतीय वायुसेना के मिग श्रेणी के अधिकतर विमान फ़ेज आउट हो चुके हैं लेकिन मिग 29 में व्यापक संशोधन किये गए हैं जिससे उनकी युद्धक क्षमता बढ़ गई. नए एवियोनिक्स, राडार, मिसाइल, हथियार नियंत्रण प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट के साथ एयरफ्रेम में संशोधन करने के बाद ही इनका नामकरण मिग-29 यूपीजी किया गया.
1999 के कारगिल युद्ध के दौरान वायु सेना ने मिग-29 का इस्तेमाल लड़ाकू मिराज-2000 को एस्कॉर्ट करने के लिए किया था, जिससे लेजर-निर्देशित बमों के साथ उच्च ऊंचाई वाले लक्ष्यों पर हमले लिए जा सके थे. चीन के साथ गतिरोध शुरू होने पर 2020 में एलएसी पर चीनी विमानों का मुकाबला करने के लिए पूर्वी लद्दाख में भी मिग-29 को तैनात किया गया था