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Today Jitiya Vrat 06 OCT 2023 : जितिया व्रत कब और किस कामना के लिए किया जाता है इन गलत‍ियों से हो सकता है ख‍ंडित

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जितिया व्रत : इस साल जितिया व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग बन रहे हैं। ऐसी मान्‍यता है कि इन शुभ योग में जितिया का व्रत करना परमफलदायी माना जाता है। अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से लेकर 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. 6 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. आप इस अबूझ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं जितिया व्रत 6 अक्‍टूबर दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। माताएं हर साल आश्विन मास के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को बच्‍चों की सलामती के लिए निर्जला व्रत करती हैं। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत में गंधर्व राजा जीमूतवाहन की पूजा के साथ जितिया व्रत की कथा सुनी और पढ़ी जाती है। माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना मन में लिए पूरी श्रद्धा भाव से इस व्रत को करती हैं। आइए जानते हैं इस व्रत को रखने के नियम, शुभ, मुहूर्त और अन्‍य खास बातें

जितिया व्रत में पहले दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. फिर व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करें. इसके बाद फल ग्रहण करें और उसके  बाद पूरे दिन कुछ न खाएं. दूसरे दिन सुबह स्नान के बाद महिलाएं पहले पूजा पाठ करती हैं और फिर पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं

जितिया व्रत कथा :  गंधर्वों के राजकुमार जीमूतवाहन जो अपने परोपकार और पराक्रम के लिए जाने जाते थे। एक बार जीमूतवाहन के पिता उन्हें राजसिंहासन पर बिठाकर वन में तपस्या के लिए चले गए। लेकिन उनका मन राज-पाट में नहीं लगा। इसी के चलते वे अपने भाइयों को राज्य की जिम्मेदारी सौंप कर अपने पिता के पास उनकी सेवा के लिए चले गए, जहां उनका विवाह मलयवती नाम की कन्या से हुआ इस कथा के अनुसार जीमूतवाहन गंधर्व के बुद्धिमान और राजा थे। जीमूतवाहन शासक बनने से संतुष्ट नहीं थे और परिणामस्वरूप उन्होंने अपने भाइयों को अपने राज्य की सभी जिम्मेदारियां दीं और अपने पिता की सेवा के लिए जंगल में चले गए। एक दिन जंगल में भटकते हुए उन्‍हें एक बुढ़िया विलाप करती हुई मिलती है। उन्‍होंने बुढ़िया से रोने का कारण पूछा। इसपर उसने उसे बताया कि वह सांप (नागवंशी) के परिवार से है और उसका एक ही बेटा है। एक शपथ के रूप में हर दिन एक सांप पक्षीराज गरुड़ को चढ़ाया जाता है और उस दिन उसके बेटे का नंबर था।उसकी समस्या सुनने के बाद ज‍िमूतवाहन ने उन्‍हें आश्‍वासन द‍िया क‍ि वह उनके बेटे को जीव‍ित वापस लेकर आएंगे। तब वह खुद गरुड़ का चारा बनने का व‍िचार कर चट्टान पर लेट जाते हैं। तब गरुड़ आता है और अपनी अंगुलियों से लाल कपड़े से ढंके हुए जिमूतवाहन को पकड़कर चट्टान पर चढ़ जाता है। उसे हैरानी होती है क‍ि ज‍िसे उसने पकड़ा है वह कोई प्रति‍क्रिया क्‍यों नहीं दे रहा है। तब वह ज‍िमूतवाहन से उनके बारे में पूछता है। तब गरुड़ ज‍िमूतवाहन की वीरता और परोपकार से प्रसन्न होकर सांपों से कोई और बलिदान नहीं लेने का वादा करता है। मान्‍यता है क‍ि तभी से ही संतान की लंबी उम्र और कल्‍याण के ल‍िए ज‍ित‍िया व्रत मनाया जाता है

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