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दूसरे मामले की जा रही थी सुनवाई, ईडी के वकील को न्यायालय कक्ष में देखकर न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा- केजरीवाल के मामले में 10 तारीख को हो सकता है निर्णय

Delhi Suprem Court : सर्वोच्च न्यायालय ने विचार व्यक्त किया कि मान लीजिए हम चुनावी माहौल के कारण किसी को अंतरिम राहत प्रदान करते हैं। तब यदि आप यह कहें कि आप कार्यालय का दौरा करेंगे, तो इससे व्यापक परिणाम हो सकते हैं। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उल्लेख किया था कि अगर हमें अंतरिम राहत मिलती है, तो हम नहीं चाहेंगे कि आप सरकारी कर्तव्यों का निर्वहन करें, क्योंकि इससे संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हम किसी भी प्रकार से सरकार के कामकाज में दखल नहीं देना चाहते। फिर भी, न्यायालय ने मंगलवार को यह भी विचार किया कि क्या इस अंतरिम राहत को दिया जाना चाहिए या नहीं।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई में पीठ ने घोषणा की कि 10 मई को उन्होंने मुख्यमंत्री केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के मामले में अपना निर्णय सुनाएंगे। इससे पहले, शीर्ष न्यायालय ने इशारा किया था कि चालू आम चुनावों को देखते हुए वे आम आदमी पार्टी के नेता को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि यह एक विशेष परिस्थिति है और मुख्यमंत्री केजरीवाल आदतन अपराधी नहीं हैं। जांच एजेंसियों ने इस अंतरिम राहत का विरोध करते हुए यह तर्क दिया कि इससे गलत प्रतिमान स्थापित होगा और राजनेताओं के पास साधारण नागरिकों की अपेक्षा कोई विशेष अधिकार नहीं होना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा एक अलग मामले की सुनवाई की जा रही थी। न्यायालय में जब ईडी के अधिवक्ता एसवी राजू न्यायमूर्ति खन्ना को नजर आए, तो उन्होंने उन्हें पास बुलाया। न्यायमूर्ति खन्ना ने जानकारी दी कि वे मुख्यमंत्री केजरीवाल की अंतरिम जमानत की याचिका पर शुक्रवार को निर्णय सुना सकते हैं। केजरीवाल के खिलाफ ईडी द्वारा धन शोधन के मामले की जांच दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की शिकायत पर 2022 में शुरू हुई थी, जिसे सीबीआई ने दर्ज किया था।

केजरीवाल के अधिवक्ता ने उत्तर दिया :  कि भले ही केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं, फिर भी वे अभियोजन से अछूते नहीं हैं, लेकिन उनके अधिकार भी किसी अन्य नागरिक की तरह सुरक्षित हैं। पूर्व की सुनवाई में, शीर्ष न्यायालय ने 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय पर ईडी से जानकारी मांगी थी। 7 मई को न्यायालय ने संकेत दिया था कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करने हेतु केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जा सकती है। हालांकि, इसने यह भी बताया था कि अगर अंतरिम जमानत प्रदान की जाती है, तो केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में किसी भी आधिकारिक कार्य की अनुमति नहीं होगी।

यह अपील दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 अप्रैल के निर्णय के विरुद्ध दाखिल की गई थी, जहाँ ईडी द्वारा किए गए गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी अर्जी निरस्त कर दी गई थी। मुख्यमंत्री केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और तब से वे हिरासत में हैं। दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक विस्तारित कर दी थी।

सर्वोच्च न्यायालय ने विचार व्यक्त किया था कि चुनावी कारणों से अगर हम अंतरिम जमानत प्रदान करते हैं, और फिर यदि आप कहते हैं कि आप कार्यालय में उपस्थित होंगे, तो इसका गहन प्रभाव पड़ सकता है। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया था कि अगर अंतरिम जमानत मिल जाती है, तो हम नहीं चाहते कि आप सरकारी दायित्वों को निभाएं, क्योंकि इससे संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हम नहीं चाहते कि सरकारी कार्यप्रणाली में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप हो। न्यायालय ने मंगलवार को यह भी संकेत दिया था कि विचार किया जाए कि अंतरिम जमानत देनी चाहिए या नहीं।

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