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Police Spy SP: कप्तान की जासूसी, 7 पुलिसकर्मी सस्पेंड

Police Spy SP

Police Spy SP: भिवाड़ी में पुलिसकर्मी कर रहे थे अपनी ही एसपी की जासूसी, 7 निलंबित

राजस्थान के भिवाड़ी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना में पुलिसकर्मी अपनी ही पुलिस अधीक्षक (एसपी) ज्येष्ठा मैत्रेयी की लोकेशन और गतिविधियों पर नजर रख रहे थे। मामले की जानकारी सामने आते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। Police Spy SP की इस घटना में 7 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।

Police Spy SP मामला: कैसे उजागर हुआ?

इस गंभीर मामले का खुलासा तब हुआ जब भिवाड़ी की एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी को गोपनीय रूप से सूचना मिली कि उनके ही अधीनस्थ पुलिसकर्मी उनकी फोन लोकेशन ट्रेस कर रहे हैं। ये पुलिसकर्मी साइबर सेल में तैनात थे और इनका काम तकनीकी जांच और निगरानी का था, लेकिन वे अपनी एसपी पर ही नजर रखने लगे थे। एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी की फोन लोकेशन 15 से ज्यादा बार ट्रेस की गई और उन पर नजर रखी जा रही थी। इस तरह से पुलिसकर्मियों द्वारा अपनी ही अधिकारी की जासूसी करने का मामला सामने आया।

Police Spy SP: लोकेशन ट्रेस और निलंबन

जैसे ही एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी को इस जासूसी का पता चला, उन्होंने तुरंत इस मामले की सत्यता की जांच करवाई। जांच में पाया गया कि साइबर सेल के इंचार्ज एसआई श्रवण जोशी और उसके साथ काम कर रहे 6 अन्य पुलिसकर्मी, जिनमें हेड कांस्टेबल अवनीश कुमार और कांस्टेबल राहुल, सतीश, दीपक, भीम, और रोहतास शामिल हैं, ने एसपी की लोकेशन ट्रेस की थी। इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए एसपी ज्येष्ठा ने इन सभी 7 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।

Police Spy SP घटना की उच्च स्तरीय जांच

इस घटना की जानकारी पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गई है और जयपुर रेंज के आईजी अजय पाल लांबा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है। आईजी लांबा ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने कई बार एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी की लोकेशन ट्रेस की थी और उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि पुलिसकर्मियों ने ऐसा क्यों किया और इसके पीछे कौन-सी मंशा थी।

ज्येष्ठा मैत्रेयी की प्रतिक्रिया: Police Spy SP मामला

Police Spy SP की इस घटना पर एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी ने अपनी निराशा और आक्रोश जाहिर किया। उन्होंने कहा कि उन्हें बिल्कुल विश्वास नहीं था कि उनके ही विभाग के पुलिसकर्मी उनकी जासूसी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं अपनी पूरी ईमानदारी से काम कर रही हूं और मुझे नहीं पता था कि मेरे ही लोग मेरे खिलाफ इस तरह की गतिविधियों में लिप्त होंगे। जब मुझे इस बारे में सूचना मिली, तो मैंने मामले की जांच करवाई और इसे सही पाया गया।”

Police Spy SP: पुलिसकर्मियों पर क्यों की जा रही थी नजर?

Police Spy SP मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार पुलिसकर्मियों ने एसपी की लोकेशन क्यों ट्रेस की? आईजी लांबा के मुताबिक, यह एक गंभीर मामला है और जांच पूरी होने के बाद ही इसका कारण स्पष्ट हो सकेगा। कुछ अटकलें यह भी हैं कि पुलिसकर्मी एसपी की गतिविधियों पर निजी कारणों से नजर रख रहे थे, लेकिन जांच के नतीजों के बाद ही इसका सच सामने आएगा।

एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी का बैकग्राउंड

ज्येष्ठा मैत्रेयी मध्य प्रदेश के गुना जिले की रहने वाली हैं और उन्होंने 2017 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। इसके बाद 2018 में राजस्थान कैडर में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पहली बार उदयपुर के गिरवा सर्कल में एएसपी के रूप में पदस्थ हुई थीं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया, जिनमें भीलवाड़ा की एसपी और जयपुर क्राइम ब्रांच में डीसीपी के पद शामिल हैं। वर्तमान में वे भिवाड़ी में एसपी के पद पर कार्यरत हैं।

Police Spy SP मामले में आगे की कार्रवाई

Police Spy SP की इस घटना में सभी निलंबित पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच की जा रही है। उच्च स्तरीय जांच के बाद यह तय किया जाएगा कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ कौन-सी कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए। फिलहाल, मामले को लेकर राजस्थान पुलिस विभाग में चिंता और अविश्वास का माहौल बना हुआ है।

जांच के निष्कर्ष का इंतजार

Police Spy SP घटना ने राजस्थान पुलिस विभाग में एक नई चुनौती पेश की है। पुलिसकर्मियों का अपने ही अधिकारी की जासूसी करना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि कानून और प्रशासनिक नियमों का भी उल्लंघन है। अब सबकी नजरें इस मामले की जांच के नतीजों पर टिकी हैं, ताकि यह साफ हो सके कि पुलिसकर्मियों ने ऐसा क्यों किया और इसके पीछे क्या मंशा थी।

निष्कर्ष: Police Spy SP का सबक

Police Spy SP की यह घटना पुलिस विभाग के लिए एक बड़ी सीख है। यह न केवल पुलिसकर्मियों के नैतिक और प्रशासनिक कर्तव्यों की गंभीरता को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कानून और अनुशासन का पालन सभी के लिए अनिवार्य है, चाहे वह किसी भी पद पर हों। इस घटना से पुलिस विभाग के अंदरूनी मामलों में भी पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ावा देने की जरूरत सामने आई है।

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