Polaris dawn mission Training
12 सितंबर 2024 को पहली बार दो आम इंसानों ने 737 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष में स्पेसवॉक की। यह ऐतिहासिक उपलब्धि स्पेसएक्स के (Polaris Dawn Mission) के तहत संभव हो पाई। इस मिशन में अरबपति जारेड आइसैकमैन और स्पेसएक्स की इंजीनियर सारा गिलिस ने हिस्सा लिया। यह पहली बार था जब कोई आम इंसान, एस्ट्रोनॉट नहीं होते हुए भी, अंतरिक्ष में स्पेसवॉक करने में सफल रहा।
कौन थे जारेड और सारा?
जारेड आइसैकमैन एक अरबपति और इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट कंपनी फोर डॉट इन के संस्थापक हैं, जबकि सारा गिलिस स्पेसएक्स की एक इंजीनियर हैं। जारेड ने इस मिशन का पूरा खर्च खुद वहन किया, जो कि बेहद महत्वपूर्ण पहलू था। दोनों ने polaris dawn mission के जरिए स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से बाहर निकलकर 737 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्पेसवॉक की। इस दौरान उन्होंने धरती को ‘हाय-हेलो’ कहा।
जारेड ने इस रोमांचक अनुभव पर कहा, “हमें धरती पर आकर कई काम करने हैं, लेकिन जहां मैं हूं, यहां से धरती एक खूबसूरत दुनिया दिखती है।”
स्पेसवॉक का खर्च और तैयारी
Polaris dawn mission में शामिल होना और स्पेसवॉक करना कोई आसान या सस्ता काम नहीं है। इस रोमांचक अनुभव के लिए अरबों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल की एक सीट की कीमत लगभग 55 मिलियन डॉलर यानी लगभग 461.41 करोड़ रुपये है। इतनी बड़ी राशि खर्च करने का कारण यह है कि यात्रा से पहले हर व्यक्ति को विस्तृत और गहन ट्रेनिंग दी जाती है। साथ ही, व्यक्ति के शरीर और स्वास्थ्य के अनुसार स्पेस सूट तैयार किया जाता है, और उसे शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करने के लिए गहन अभ्यास कराया जाता है।
कौन जा सकता है अंतरिक्ष में?
हर कोई अंतरिक्ष में नहीं जा सकता, इसके लिए चयन की आवश्यकता होती है। Polaris dawn mission जैसे मिशनों के लिए व्यक्ति का चयन नासा या अन्य स्पेस कंपनी करती है। चयन प्रक्रिया में व्यक्ति की स्किल, अनुभव, और शारीरिक फिटनेस का विशेष ध्यान रखा जाता है। स्पेसवॉक जैसे जटिल कार्य के लिए व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी होता है।
स्पेसवॉक से पहले, सिमुलेशन के जरिए अभ्यास कराया जाता है, जिसमें व्यक्ति को यंत्रों के संचालन, टीम के साथ तालमेल बनाने, और मिशन कंट्रोल के साथ समन्वय की ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग बहुत जरूरी होती है क्योंकि अंतरिक्ष में स्पेसवॉक करना एक बेहद चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा कार्य होता है।
स्पेसवॉक की चुनौतियाँ और रोमांच
स्पेसवॉक करना शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से चुनौतीपूर्ण होता है। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण संतुलन बनाए रखना मुश्किल होता है। इसके अलावा, व्यक्ति को अपने टीम के सदस्यों के साथ तालमेल बनाकर काम करना होता है, जिससे कोई दुर्घटना न हो।
स्पेसवॉक के दौरान व्यक्ति को बाहरी उपकरणों की मरम्मत, सैटेलाइट्स की जांच, और नई प्रणालियों की स्थापना जैसे जटिल कार्य करने होते हैं। यह काम अत्यधिक तकनीकी होता है और इसके लिए गहन प्रशिक्षण आवश्यक होता है।
Polaris dawn mission की सफलता
Polaris dawn mission ने यह साबित कर दिया कि तकनीक और वैज्ञानिक प्रगति की मदद से आम इंसान भी अंतरिक्ष में जाकर अद्वितीय अनुभव कर सकते हैं। यह मिशन स्पेसएक्स की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले केवल प्रशिक्षित एस्ट्रोनॉट्स ही स्पेसवॉक कर पाते थे, लेकिन Polaris dawn mission ने इस धारणा को बदल दिया।
स्पेसएक्स के इस मिशन के तहत भविष्य में और भी कई अंतरिक्ष यात्राएँ संभव हो सकती हैं, जिनमें आम इंसान भी शामिल हो सकेंगे। यह मिशन अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आने वाले समय में यह अधिक सुलभ हो सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ
Polaris dawn mission जैसे रोमांचक मिशन ने अंतरिक्ष पर्यटन के क्षेत्र में नई संभावनाएँ खोली हैं। जारेड और सारा की इस उपलब्धि ने यह साबित किया है कि स्पेसवॉक जैसे खतरनाक कार्य भी आम इंसानों के लिए संभव हो सकते हैं, बशर्ते कि उनके पास सही ट्रेनिंग और आर्थिक संसाधन हों।
हालांकि, यह यात्रा अभी भी बहुत महंगी है और कुछ ही लोग इसे कर सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे तकनीक में सुधार होगा और स्पेस यात्रा की लागत कम होगी, यह अनुभव अधिक लोगों के लिए सुलभ हो सकता है।
निष्कर्ष
12 सितंबर 2024 कोPolaris dawn mission ने इतिहास रच दिया। जारेड आइसैकमैन और सारा गिलिस ने सफलतापूर्वक 737 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्पेसवॉक की, जो पहली बार था जब आम इंसानों ने यह कारनामा किया। यह मिशन मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इसने यह साबित कर दिया कि सही तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग के साथ आम इंसान भी अंतरिक्ष की अनोखी दुनिया का हिस्सा बन सकते हैं।
Polaris Dawn Mission ने दुनिया को दिखा दिया कि अंतरिक्ष यात्रा अब सिर्फ एस्ट्रोनॉट्स तक सीमित नहीं है, बल्कि आम लोग भी इसे कर सकते हैं, बशर्ते वे तैयार हों और आवश्यक संसाधनों का प्रबंध कर सकें।|
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