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Officer Salary: यूपी में सितंबर का वेतन रोक, देना होगा यह ब्योरा

UP Government Officer Salary

उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन (Officer Salary) को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब सरकारी कर्मचारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य कर दिया गया है, और जो कर्मचारी इस आदेश का पालन नहीं करेंगे, उन्हें सितंबर महीने का वेतन नहीं दिया जाएगा। यह कदम सरकार द्वारा पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।

‘Officer Salary’ पर सख्त आदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागाध्यक्षों को आदेश जारी किया है कि ‘मानव संपदा पोर्टल’ पर अपनी संपत्ति की घोषणा करने वाले कर्मचारियों को ही वेतन मिलेगा। इस आदेश का पालन न करने वालों का सितंबर माह का वेतन (Officer Salary) रोक दिया जाएगा।

संपत्ति विवरण जमा करना अनिवार्य

सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य होगा। यह ब्योरा ‘मानव संपदा पोर्टल’ पर अपलोड किया जाएगा, जो कि सरकार द्वारा लॉन्च किया गया एक ऑनलाइन पोर्टल है। यह कदम सरकारी अधिकारियों की संपत्ति की जानकारी को सार्वजनिक डोमेन में लाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

डीडीओ की जिम्मेदारी

इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए डीडीओ (Drawing and Disbursing Officer) को जिम्मेदारी सौंपी गई है। डीडीओ की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करें कि उनके अंतर्गत आने वाले सभी कर्मचारी संपत्ति का विवरण पोर्टल पर अपलोड करें। अगर कोई कर्मचारी ऐसा नहीं करता है, तो डीडीओ का वेतन (Officer Salary) भी रोका जा सकता है।

30 सितंबर अंतिम तारीख

सरकार द्वारा संपत्ति ब्योरा जमा करने की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2024 निर्धारित की गई है। इस तारीख तक जो कर्मचारी अपनी संपत्ति का विवरण जमा नहीं करेंगे, उन्हें वेतन (Officer Salary) नहीं मिलेगा। आदेश के अनुसार, राज्य के सभी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति की घोषणा करनी होगी, और इसके बाद ही वेतन जारी किया जाएगा।

कर्मचारियों की मांग पर समय सीमा बढ़ाई गई

पहले संपत्ति की घोषणा की अंतिम तारीख 31 अगस्त थी, लेकिन कर्मचारियों की मांग पर इसे एक महीने बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया। कर्मचारियों ने सरकार से अनुरोध किया था कि उन्हें अधिक समय दिया जाए ताकि वे सही-सही संपत्ति विवरण तैयार कर सकें। इसके बाद सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर समय सीमा बढ़ा दी, लेकिन इसके बाद अब और कोई विस्तार नहीं किया जाएगा।

90% कर्मचारियों ने संपत्ति ब्योरा जमा किया

मुख्य सचिव के अनुसार, 12 सितंबर तक 8,44,374 कर्मचारियों में से 7,19,807 कर्मचारियों ने अपना संपत्ति विवरण जमा कर दिया है, जो कि कुल संख्या का लगभग 90 प्रतिशत है। लेकिन शेष 10 प्रतिशत कर्मचारियों को जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी, अन्यथा उनका वेतन (Officer Salary) रोका जा सकता है।

पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में कदम

इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति की घोषणा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और सरकारी कामकाज में जवाबदेही सुनिश्चित करना है। यह कदम सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति के बारे में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है, ताकि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और विश्वास बढ़े। इससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा और सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जो कर्मचारी इस प्रक्रिया का पालन नहीं करेंगे, उन्हें सख्त परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

कर्मचारियों के लिए संभावित असर

जो कर्मचारी 30 सितंबर तक अपनी संपत्ति का ब्योरा ‘मानव संपदा पोर्टल’ पर अपलोड नहीं करेंगे, उनके वेतन (Officer Salary) का भुगतान नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, उनके संबंधित डीडीओ को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि सभी कर्मचारियों की संपत्ति घोषणा प्रक्रिया पूरी हो।

‘मानव संपदा पोर्टल’ क्या है?

‘मानव संपदा पोर्टल’ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लॉन्च किया गया एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों की जानकारी का डेटाबेस है। इस पोर्टल पर कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत जानकारी, संपत्ति की घोषणा, स्थानांतरण विवरण, पदोन्नति और अन्य प्रशासनिक सूचनाएं अपलोड कर सकते हैं। यह पोर्टल सरकार को कर्मचारियों की जानकारी के एकीकृत प्रबंधन में मदद करता है और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाता है।

भविष्य के संभावित कदम

अगर कर्मचारी संपत्ति घोषणा करने में विफल रहते हैं, तो सरकार और भी सख्त कदम उठा सकती है। इस तरह की कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। भविष्य में, अगर कर्मचारियों द्वारा संपत्ति की घोषणा में लापरवाही बरती जाती है, तो उन्हें न केवल वेतन (Officer Salary) से वंचित किया जा सकता है, बल्कि अन्य प्रकार के अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति घोषणा को अनिवार्य बनाने का यह कदम भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों की संपत्ति की जानकारी पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक हो, और इससे सरकारी कामकाज में जवाबदेही बढ़े। मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि जो कर्मचारी 30 सितंबर तक अपनी संपत्ति का विवरण नहीं देंगे, उन्हें सितंबर माह का वेतन (Officer Salary) नहीं मिलेगा। यह निर्णय सरकार के पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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