मॉनसून आते ही गुरुग्राम-दिल्ली कैसे बन गए ‘तालाब’, नोएडा की क्या खासियत बचा ले गई: मॉनसून की बारिश से जहां लोगों के चेहरों पर खुशी देखने को मिली तो वहीं कई इलाकों में मुसीबत भी बनी. देश की राजधानी से सटी प्लांड सिटी गुरुग्राम का भी हाल-बेहाल है. बरसात में जलभराव से ऐसी स्थिति देखने को मिली कि लोग हैरान और परेशान नजर आए. ऐसे में गुरुग्राम के लिए मॉनसून को मुसीबत का दूसरा का नाम कह कहा जाए तो गलत नहीं होगा. सुनियोजित तरीके से बनाया गया गुरुग्राम शहर अपने दावों के उलट साबित हुआ. हालांकि, अन्य प्लांड सिटी नोएडा और ग्रेटर नोएडा की स्थिति गुरुग्राम के मुकाबले काफी बेहतर है
गुरुग्राम में नालों की तादाद कम: वहीं, गुरुग्राम की बात करें तो यहां तीन नाले हैं. एंबिएंस मॉल के साथ एक नाला सीधे नजफगढ़ नाले में जाता है और दूसरा, डीएलएफ 1, 2 और 3, सुशांत लोक-1 एमजी रोड से पानी लाता है और तीसरा आसपास के अन्य क्षेत्र इफ्को चौक से होते हुए नजफगढ़ नाले में लाता है. आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर अर्चित प्रताप सिंह का कहना है कि नजफगढ़ ड्रेन शहर के 60 प्रतिशत से अधिक जल निकासी का बोझ उठाती है. यह ड्रेन केवल 27 किमी लंबी है
पुराना हो चुका दिल्ली का सिस्टम :
दुनियाभर में दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस और खान मार्किट जैसे इलाकों में भी सड़कों पर सैलाब नजर आ रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली का इंफ 50 मिमी से ज्यादा बारिश नहीं झेल सकता और दो दिनों में हुई 155 मिमी बारिश से पूरी दिल्ली में चौतरफा सैलाब जैसा मंज़र छा गया है. लुटियंस दिल्ली और सेंट्रल जोन का ड्रेनेज सिस्टम ब्रिटिश कालीन है