जब 1978 की बाढ़ में यमुना-हिंडन हो गई थीं एक, खाने तक को तरस गए थे लोग: ज्यादा बारिश में अगर तटबंधों ने साथ नहीं दिया तो नोएडा और ग्रेटर नोएडा के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में होंगे। हिंडन का बैक फ्लो तो परेशान करेगा ही, नालों का ओवरफ्लो शहरी इलाकों में जलभराव का कारण बन जाएगा। यही नहीं, मानसून में हथिनी कुंड बैराज से छोड़े जाने वाले पानी पर अगर नियंत्रण नहीं रहा तो यह भी नोएडा-ग्रेटर नोएडा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
नोएडा में भले ही अधिक बारिश न हुई हो, लेकिन यमुना का जलस्तर अभी भी रिकॉर्ड स्तर पर बना हुआ है। डूब एरिया के इलाकों में यमुना का जलस्तर खतरनाक लेवल तक पहुंच गया है। जिस तरह से यमुना का जलस्तर बढ़ा है, उसने साल 1978 की बाढ़ की यादों को ताजा कर दिया है। उस वक्त यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर तक जा पहुंचा था। हिंडन और यमुना नदी एक हो गई थी। दादरी एरिया तक पानी भर गया था। टेलीफोन लाइन बंद थीं और बिजली पूरी तरह से काट दी गई थी। खाने तक के लिए लोग तरस गए थे। हालात इस कदर खराब थे कि लोग अपने पशुओं को लेकर ऊंचे स्थानों की तरह पलायन कर गए थे। सुरजपुर, साकीपुर से लेकर यमुना के डूब एरिया तक गावों के लोग दादरी के मिहिर भोज इंटर कॉलेज में कैंप में रहे थे।