Haldwani Violence: हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में गुरुवार को हिंसक घटनाएं घटित हुईं, जिसमें पांच व्यक्तियों की जान चली गई और लगभग 300 लोग घायल हो गए। उत्तराखंड में, विशेष रूप से विविध आबादी वाले इलाकों में, पुलिस उच्च सतर्कता बरत रही है। यह संघर्ष उस वक्त आरम्भ हुआ जब प्रशासन ने नजूल भूमि पर निर्मित एक मदरसा और मस्जिद को गिराने का प्रयास किया
हल्द्वानी, जो कुमाऊं क्षेत्र का प्रवेश द्वार माना जाता है, आमतौर पर एक शांत शहर है, लेकिन गुरुवार को यहां की शांति भंग हो गई। शहर की सड़कों पर पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाएँ देखने को मिलीं। इस हिंसा में कुछ लोगों की मृत्यु हो गई और अनेक गंभीर रूप से घायल हुए। यह सारा विवाद उस समय शुरू हुआ जब प्रशासन ने बनभूलपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा नजूल भूमि पर अवैध रूप से निर्मित धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने की कार्रवाई आरंभ की।
हल्द्वानी पुलिस ने इस मामले में अब तक 25 लोगों को हिरासत में लिया है, जिन पर दंगा फैलाने, डकैती, सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने और हत्या के प्रयास समेत विभिन्न आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।बनभूलपुरा क्षेत्र में लगभग 300 परिवार (समाचार लिखे जाने तक) अपने घरों को ताला लगाकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में चले गए हैं। पलायन का यह सिलसिला अभी भी जारी है। 11 फरवरी, 2024 को सुबह में भी कई लोगों को पलायन करते देखा गया। कुछ लोगों को वाहन न मिलने की स्थिति में पैदल ही उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के लालकुआं की ओर जाते देखा गया। वहां से उन्होंने बरेली के लिए ट्रेन पकड़ी।
स्थानीय निवासी मोहम्मद यासिन ने एक समाचार पत्र को जानकारी दी कि वह हल्द्वानी में लकड़ी के काम से जुड़ा हुआ है। हिंसक घटनाओं के पश्चात् पुलिस की कार्यप्रणाली में कठोरता आई है। पुलिस द्वारा बिना दोषी के भी लोगों को परेशान किया जा रहा है। इस डर से यासिन अपने रिश्तेदारों के पास बहेड़ी जा रहे हैं। बनभूलपुरा क्षेत्र में ऐसे लगभग 300 घर हैं जिन्हें लोगों ने खाली कर दिया है और उन पर ताले लगे हैं। रामपुर के यासिन, जो काम की तलाश में हल्द्वानी आए थे और अपने परिवार के साथ किराए के मकान में रह रहे थे, ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई से उन्हें डर लग रहा है और उन्होंने कहा कि वे अब वापस नहीं आएंगे
हल्द्वानी के विवादित जमीन के संदर्भ में, जिला प्रशासन का कथन है कि जिस स्थान पर अल्पसंख्यक समुदाय का धार्मिक स्थल स्थित है, वह नगर निगम द्वारा नजूल भूमि के रूप में पंजीकृत है। यह क्षेत्र पिछले तीन सप्ताह से सड़कों पर यातायात जाम को कम करने के उद्देश्य से अवैध कब्जाधारियों से मुक्त किया जा रहा था।इस प्रक्रिया के भाग के रूप में, स्थानीय प्रशासन ने नोटिस जारी किए जिसमें कब्जाधारियों से कहा गया कि वे अपने मालिकाना हक के प्रमाण पत्र को न्यायालय में पेश करें या कब्जे को हटा लें। इसी के चलते हिंसक घटनाएँ शुरू हुईं। जिलाधिकारी ने अपने बयान में यह भी उल्लेख किया कि जमीन पर अवैध कब्जे की पुष्टि होने के पश्चात ही अतिक्रमण को हटाया गया था।
जमीन के उपयोग में परिवर्तन संभव है, उदाहरण के तौर पर कृषि भूमि का इस्तेमाल भविष्य में भवन निर्माण में किया जा सकता है। जमीन को लीज पर देने का निर्णय भी बदल सकता है, किन्तु जमीन का मालिकाना हक सरकार के पास बना रहेगा। कुछ क्षेत्रों में, अनुसूचित जाति और जनजाति के समुदायों को भी खेती के लिए यह जमीन पट्टे पर दी जाती है।