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Guwahati कुशियारा नदियाँ, बाढ़ में दो मौतें, 22,000 प्रभावित

Guwahati

Guwahati कुशियारा नदियों में बाढ़ से मौतें: असम में बाढ़ का कहर

Guwahati और दक्षिणी असम में कुशियारा और बाराक नदियों के उफान ने स्थानीय समुदायों के लिए गंभीर खतरे की घंटी बजाई है। असम में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने राज्य में बाढ़ की स्थिति को और गंभीर बना दिया है। पिछले तीन दिनों में हुई मूसलधार बारिश ने असम में बाढ़ की दूसरी लहर को जन्म दिया है, जिससे 22,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और इस दौरान दो लोगों की जान भी चली गई है। यह घटनाएँ गोलाघाट जिले से आई हैं, जो इस वक्त बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है।

गोलाघाट जिले में बाढ़ का कहर
Guwahati गोलाघाट जिले के कई हिस्सों में बाढ़ के कारण भारी तबाही मच चुकी है। राज्य में मई के अंत में बाढ़ की पहली लहर शुरू हुई थी, जो जून तक जारी रही। इस दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई नदियों के जलस्तर ने खतरे के स्तर को पार किया, जिससे भारी जलप्रलय हुआ। इनमें से प्रमुख नदियाँ हैं डिखौ, दिसांग और धांसीरी, जिनका जलस्तर पिछले दिनों काफी बढ़ चुका है। इन नदियों के उफान ने पूरे क्षेत्र में जलभराव की स्थिति पैदा कर दी है।

Guwahati कुशियारा और बाराक नदियाँ भी उफान पर
दक्षिण असम में कुशियारा और बाराक नदियाँ भी अपने ऊंचे जलस्तर से क्षेत्र के कई समुदायों के लिए खतरा पैदा कर रही हैं। इन नदियों का जलस्तर इस समय खतरे के निशान को पार कर चुका है और बाढ़ का असर तेज़ी से बढ़ रहा है। इससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। Guwahati कुशियारा नदियों से जुड़ी यह घटनाएँ चिंताजनक हैं, खासकर उन गांवों के लिए जहां बाढ़ का पानी घुस चुका है और कई लोग प्रभावित हुए हैं।

धोयांग जलविद्युत परियोजना का पानी छोड़ना
बाढ़ के इस संकट को और बढ़ा दिया है धोयांग जलविद्युत परियोजना से अचानक पानी छोड़े जाने के कारण। उत्तर-पूर्वी विद्युत निगम लिमिटेड (NEEPCO) द्वारा इस परियोजना से पानी छोड़ने के कारण धांसीरी और धोयांग नदियों का जलस्तर बहुत बढ़ गया, जिससे गोलाघाट जिले के कई हिस्सों में बाढ़ का पानी फैल गया है। यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है क्योंकि अचानक पानी छोड़े जाने के कारण राहत कार्यों में भी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।

गोलाघाट में राहत कार्य
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने गोलाघाट जिले में राहत कार्यों की शुरुआत की है। इस दौरान 381 लोगों और 28 मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। साथ ही, 15 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं ताकि प्रभावित लोगों को अस्थायी आवास और सहायता दी जा सके। गोलाघाट जिले में पांच राजस्व सर्कल प्रभावित हुए हैं, जिनमें गोलाघाट, खुंटाई, मरोंगी, सरूपथार और बोकाखाट शामिल हैं। इस बाढ़ के कारण कुल 56 गाँव प्रभावित हुए हैं और लगभग 4,548 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।

जलभराव के कारण सड़क यातायात प्रभावित
पानी के तेज बहाव के कारण कई सड़कों पर जलभराव हो गया है, जिससे यातायात भी प्रभावित हुआ है। गोलाघाट और आस-पास के क्षेत्रों में सड़कों पर पानी भरने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुशियारा और बाराक नदियों के बढ़ते जलस्तर के कारण इन क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है।

फसल और कृषि पर असर
बाढ़ के कारण असम में खेती पर भी बुरा असर पड़ा है। शिरूर और अन्य इलाकों में भारी जलभराव के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। कई खेतों में पानी जमा होने से फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। इंदापुर और धायरी क्षेत्रों में पानी घुसने के कारण किसानों की स्थिति बेहद खराब हो गई है, और उनकी आय पर गंभीर असर पड़ा है।

निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए
Guwahati असम में बाढ़ की स्थिति का असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है, खासकर उन क्षेत्रों में जो कृषि आधारित हैं। जलस्तर में वृद्धि और बाढ़ के कारण फसलें नष्ट हो रही हैं और किसानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस समय जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय बदलावों का असर साफ देखा जा सकता है, और इस पर नियंत्रण पाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष
Guwahati कुशियारा नदियों की बाढ़ ने असम के कई हिस्सों में तबाही मचाई है, और इसमें अभी भी लोगों की जान-माल की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता बनी हुई है। इस स्थिति को देखकर यह साफ है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए अधिक ध्यान और तत्काल उपायों की आवश्यकता है। एनडीआरएफ और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा की जा रही राहत और बचाव कार्यों की सराहना की जाती है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार के जलवायु संकट से बचने के लिए पूरी तरह से तैयारी की जाए।

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