Uttar Pradesh : जीडीए ने 70,000 वर्ग मीटर भूमि पर बनाई गई पांच अनधिकृत कॉलोनियों को ध्वस्त कर दिया है। इस अभियान का नेतृत्व ओएसडी गुंजा सिंह ने किया, जिन्होंने जीडीए उपाध्यक्ष इंद्र विक्रम सिंह के आदेशों के अनुसार कार्रवाई की। कॉलोनाइजर्स और उनके समर्थकों ने इस कार्रवाई का विरोध किया, लेकिन जीडीए की सचल टीम ने उन्हें हटा दिया।
इन सभी के खिलाफ पहले भी अवैध कॉलोनियों को न बसाने की चेतावनी के रूप में नोटिस जारी किया जा चुका था, मगर उन्होंने इसे अनदेखा किया। सोमवार के दिन, अवैध कॉलोनियों में बनी प्लॉटों की बाउंड्री वॉल, कॉलोनी की मुख्य बाउंड्री और कॉलोनाइजर्स के कार्यालयों को ढहा दिया गया। साथ ही, बिजली के पोलों को हटाकर और रास्तों को खोदकर जहां अवैध रूप से मिट्टी भरी गई थी, उसे भी समाप्त किया गया।
ओएसडी ने जनता से आग्रह किया है : कि वे भूखंड खरीदने से पूर्व प्राधिकरण से पुष्टि कर लें कि संबंधित कॉलोनी को जीडीए की मंजूरी प्राप्त है अथवा नहीं। उन्होंने यह भी सलाह दी कि केवल उन्हीं कॉलोनियों में भूखंड या आवासीय इकाइयाँ खरीदें जिन्हें जीडीए ने मान्यता दी है। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे टीओडी जोन हो या कोई अन्य क्षेत्र, किसी भी स्थान पर अवैध कॉलोनियों को विकसित होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अवैध निर्माणों और कॉलोनियों के विरुद्ध ध्वस्तीकरण अभियान निरंतर जारी रहेगा। बिसरख-जलालपुर गांव की जमीन, जो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत और कब्जे में ली गई है, के बारे में उन्होंने रजिस्ट्रार को एक पत्र भेजकर सूचित किया है। उनका कहना है कि कुछ कॉलोनाइजर इस जमीन पर अवैध तरीके से विला, प्लॉट्स, दुकानें, और मकान बनाकर साधारण लोगों को धोखे में रखकर बेच रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि गांव के खसरा नंबर 524, 678, 768, 774, 782, 784, 786, 787, 796, 813, और 814 सहित सभी खसरा खातों पर विशेष रोक लगाई गई है और रजिस्ट्री पर पूर्ण प्रतिबंध है। अगर कोई रजिस्ट्री कराना चाहता है, तो उसे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से विशेष अनुमति प्राप्त करनी होगी।
ग्राम बखरवा में खसरा संख्या 253, 271, और 272 पर, संजय सहरावत और आश्रेय जयंत द्वारा 25,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में प्लॉट विभाजन का कार्य चल रहा था। ओएसडी गुंजा सिंह के अनुसार, सोमवार को एनफोर्समेंट टीम और पुलिस ने मिलकर कई घंटों तक विध्वंस कार्रवाई अंजाम दी। इस क्रिया के तहत, मजबूत निर्माण, सड़कों, और कॉलोनाइजरों द्वारा निर्मित चारदीवारी को गिरा दिया गया। कॉलोनाइजरों ने कार्रवाई का विरोध किया, परंतु पुलिस और प्राधिकरण की टीम ने उन्हें हटाकर कार्रवाई संपन्न की। गुंजा सिंह ने यह भी जानकारी दी कि आस-पास के निवासियों को इन अवैध कॉलोनियों में बिना मानचित्र स्वीकृति के प्लॉट न खरीदने के लिए सावधान किया गया।
डीएम ने फौरन रजिस्ट्री पर पाबंदी लगाने का आदेश दिया : एनपीसीएल को नए बिजली कनेक्शन न जोड़ने और पहले से जुड़े कनेक्शनों को विच्छेदन के लिए भी निर्देशित किया गया है। डीसीपी सेंट्रल नोएडा, सुनीति के अनुसार, वर्क सर्किल के असिस्टेंट मैनेजर की शिकायत पर इस मामले में एक मुकदमा दायर किया गया है, और इसकी जांच चल रही है। जांच परिणाम के आधार पर आगामी कदम उठाए जाएंगे। डूब क्षेत्र में भी उग आई हैं अनधिकृत कॉलोनियां। बिसरख में, प्राधिकरण द्वारा दो हजार करोड़ मूल्य की जमीन के बेचे जाने का मामला एकमात्र उदाहरण नहीं है। हिंडन नंदी के डूब क्षेत्र में भी, प्राधिकरण ने 300 करोड़ रुपये में जमीन अधिग्रहीत की थी, जिस पर कॉलोनाइजरों ने अनधिकृत बस्तियां बसा दीं। ऐसी जमीन का बैनामा किया गया, जो नदी के जल प्रवाह क्षेत्र में आती है।