Earthquake Tremors Felt in Delhi NCR and Western Uttar Pradesh: A Detailed Report
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में 1 जुलाई 2025 को एक तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। हरियाणा के झज्जर जिले में आया यह Earthquake 4.4 रिक्टर स्केल पर मापा गया, और इसके झटके दिल्ली के साथ-साथ नोएडा, गुड़गांव, रोहतक, बहादुरगढ़, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ और शामली जैसे क्षेत्रों में भी महसूस किए गए। भूकंप के झटकों ने लोगों को अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया, क्योंकि घरों में लगी पंखों और अन्य वस्तुओं ने हिलने-डुलने की आवाज दी थी।
Earthquakeका केंद्र और माप
यह भूकंप हरियाणा के झज्जर जिले में आया था, जिसका केंद्र 10 किमी गहराई पर था। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्मोलॉजी (NIS) के अनुसार, भूकंप का माप 4.4 था, जो रिक्टर स्केल पर मापा गया। भूकंप के झटके सुबह 9:04 बजे महसूस किए गए, जब लोग अपने घरों में थे। खासकर दिल्ली, नोएडा और गुड़गांव जैसे शहरों में कंप्यूटर सिस्टम्स और अन्य उपकरण हिलने लगे थे, जिससे कई लोग बाहर चले गए।
Earthquake: के असर से जुड़े कुछ प्रमुख क्षेत्र
दिल्ली में कई इलाके थे जहां लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। नोएडा और गुड़गांव जैसे कार्यालयों में भी कर्मचारियों ने कंप्यूटर के हिलने के बाद बाहर जाने का फैसला लिया। हरियाणा के क्षेत्रों जैसे गुड़गांव, रोहतक, दादरी और बहादुरगढ़ में भी भूकंप के झटके महसूस हुए थे। उत्तर प्रदेश के मेरठ और शामली जैसे शहरों तक भूकंप के झटके पहुंचे थे, जो झज्जर से लगभग 200 किलोमीटर दूर थे।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं और NDRF की सलाह
Earthquake के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं साझा कीं और यह बताया कि उन्होंने भूकंप के दौरान किस प्रकार प्रतिक्रिया दी। कई लोगों ने यह बताया कि भूकंप के झटके काफी लंबा समय तक महसूस हुए।
नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) ने भूकंप के बाद लोगों को पैनिक न करने की सलाह दी। NDRF ने यह भी कहा कि अगर भूकंप के दौरान लोग गाड़ी चला रहे हों, तो उन्हें एक खुले स्थान पर गाड़ी रोक लेनी चाहिए। साथ ही, भवनों से बाहर निकलने की बजाय, सीढ़ियों का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई।
दिल्ली में भूकंप का इतिहास और जोखिम
Earthquake: दिल्ली में भूकंप एक सामान्य घटना है, क्योंकि यह भूगोलिक दृष्टिकोण से एक संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के नजदीक कई सक्रिय फॉल्ट लाइन्स हैं, जैसे दिल्ली-हरिद्वार रिज, सोहना फॉल्ट, दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट और महेन्द्रगढ़-देहरादून फॉल्ट। दिल्ली को सिस्मिक जोन 4 में रखा गया है, जिसका मतलब है कि यहां भूकंप का खतरा अधिक होता है।
दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) के अनुसार, उत्तर भारत में हिमालयी क्षेत्र की टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने की वजह से यहां भूकंप आते हैं। ये प्लेटें आपस में टकरा कर ऊर्जा संचित करती हैं, जैसे एक घड़ी की चाबी में चाबी को घुमाने पर ऊर्जा संचित होती है। जब ये प्लेटें अपने स्थान से खिसकती हैं तो ऊर्जा की रिलीज के रूप में भूकंप आता है।
दिल्ली के इतिहास में भूकंप
दिल्ली में अब तक कई बड़े भूकंप आ चुके हैं। 1720 से लेकर अब तक दिल्ली में पांच भूकंप ऐसे आए हैं, जिनका माप 5.5 या उससे ज्यादा रहा है। इन भूकंपों ने शहर को हिला दिया और यहां के लोगों के लिए बड़े संकट खड़े कर दिए। दिल्ली की भूकंपीय स्थिति को देखते हुए, यह शहर भूकंप के खतरों से बचने के लिए लगातार तैयारी करता रहता है।
NDRF की तैयारियां और राज्य की भूकंप नीति
NDRF के अलावा, राज्य सरकारें भी भूकंप से संबंधित आपातकालीन उपायों और पुनर्वास के उपायों को लेकर सतर्क रहती हैं। दिल्ली में अब तक Earthquake: की गतिविधियों के लिए तैयारी की गई है, ताकि भविष्य में इस तरह के आपदाओं से निपटा जा सके।
वर्तमान में दिल्ली और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में भूकंप के खतरे को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह खतरा भविष्य में भी बना रहेगा और इसके लिए निरंतर तैयारी की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
Earthquake: एक अप्रत्याशित आपदा है, लेकिन सही तैयारी और समय पर जागरूकता से इससे निपटा जा सकता है। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में भूकंप के खतरे के बावजूद, प्रशासन और नागरिकों की सतर्कता इस खतरनाक स्थिति से निपटने में मदद कर सकती है। इस बार के भूकंप ने यह स्पष्ट कर दिया कि भूकंप के मामले में सबकी जागरूकता और तत्परता बहुत महत्वपूर्ण है।
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