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केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट कहा शराब नीति घोटाले पर कोई टिप्पणी न करने, और किसी भी गवाह से संपर्क न करने की शर्तें लगाई

Delhi Supreme  Court : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 51 दिनों की जेल के बाद अंतरिम जमानत मिली है। शराब घोटाले के मामले में, जिसमें उन्हें 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से 21 दिन के लिए बाहर रहने की इजाजत मिली है। इस दौरान, उन्हें कई शर्तें पूरी करनी होंगी जैसे कि 50 हजार रुपये का निजी मुचलका भरना, मुख्यमंत्री कार्यालय में न जाना, उपराज्यपाल की अनुमति के बिना किसी फाइल पर हस्ताक्षर न करना, शराब नीति घोटाले पर कोई टिप्पणी न करना और किसी भी गवाह से संपर्क न करना। 2 जून को उन्हें सरेंडर करना होगा।

CM अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत मिली है। हालांकि केजरीवाल ने जुलाई तक की जमानत की मांग की थी, लेकिन न्यायालय ने इसे ठुकराते हुए केवल 1 जून तक की जमानत अनुमति दी है।

न्यायालय ने ईडी के विरोध का जवाब देते हुए कहा कि जब केजरीवाल को डेढ़ साल तक गिरफ्तार नहीं किया गया, तो 21 दिनों की जमानत से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केजरीवाल को मार्च में गिरफ्तार किया गया था और उनकी गिरफ्तारी पहले भी हो सकती थी, इसलिए अब 21 दिनों की जमानत में कोई विशेष अंतर नहीं है।

अरविंद केजरीवाल के वकील, अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद, 5 जून तक अंतरिम जमानत दी जाए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को अस्वीकार करते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले महीने के फैसले के खिलाफ दायर की गई केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई जारी रखी। इस फैसले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखा गया था।

सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद, अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से अनुरोध किया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को 4 जून को वोटों की गिनती के एक दिन बाद, 5 जून तक जमानत दी जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, “नहीं… नहीं।” शीर्ष अदालत केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने मामले में अपनी गिरफ्तारी को बरकरार रखने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले महीने के फैसले को चुनौती दी थी।

Supremcourt : सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को निर्धारित शर्तों के अनुसार अंतरिम जमानत प्रदान की है। उन्हें 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिली है। इस जमानत की शर्तों के तहत, केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा, बिना उपराज्यपाल की अनुमति या मंजूरी के वे किसी भी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकेंगे। शराब नीति घोटाले में अपनी भूमिका पर कोई टिप्पणी नहीं करने और किसी भी गवाह से संपर्क न करने की भी शर्त शामिल है।

 

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