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Chhath Puja 2024: नहाए-खाए से शुभारंभ, जानें संपूर्ण पूजन विधि

Chhath Puja

Chhath Puja 2024: का महापर्व उत्तर भारत के बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से मनाया जाता है, लेकिन आजकल इसकी लोकप्रियता पूरे देश में फैल चुकी है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और इसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस महापर्व को संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य, और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पूजा का पर्व 5 नवंबर से 7 नवंबर तक मनाया जाएगा।

Chhath Puja का महत्व और इतिहास

Chhath Puja का यह पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य देव अपनी नीच राशि में होते हैं, और इस समय उनकी विशेष उपासना करने से स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान होता है। षष्ठी तिथि का संबंध संतान की लंबी आयु से होता है, इसलिए यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा संतान प्राप्ति और उनकी आयु रक्षा के लिए रखा जाता है। इसके अलावा, छठ पूजा से कई पौराणिक कथाएँ और किवदंतियाँ भी जुड़ी हैं, जो इस पर्व को और भी पवित्र बनाती हैं।

छठ पूजा की चार दिवसीय विधि

Chhath Puja चार दिनों तक चलने वाला पर्व है जिसमें प्रत्येक दिन का अपना महत्व और विशेष अनुष्ठान होता है। आइए जानते हैं हर दिन के अनुष्ठानों के बारे में विस्तार से:

1. नहाय-खाय (पहला दिन)

छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है। इस दिन व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए नहाय-खाय का अनुष्ठान करते हैं।

व्रती इस भोजन को शुद्धता और भक्तिभाव से ग्रहण करते हैं और इसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।

2. खरना (दूसरा दिन)

Chhath Puja का दूसरा दिन खरना कहलाता है, जिसे लोहंडा-खरना भी कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरा दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के समय विशेष खीर का सेवन करते हैं।

3. डूबते सूर्य को अर्घ्य (तीसरा दिन)

Chhath Puja के तीसरे दिन व्रती उपवास रखते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का अनुष्ठान करते हैं। यह दिन छठ महापर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसमें लाखों लोग सूर्यास्त के समय नदी, तालाब या जलाशयों पर जाकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

4. उगते सूर्य को अर्घ्य (चौथा दिन)

Chhath Puja के चौथे और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दिन व्रती अपने व्रत का समापन करते हैं और यह अनुष्ठान उगते सूर्य के समय होता है। इसे छठ पूजा का अंतिम अर्घ्य कहा जाता है।

Chhath Puja का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

छठ पूजा का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व सामूहिकता, आपसी सहयोग और सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान लोग एकजुट होकर नदी या तालाब किनारे पूजा करते हैं और सभी लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी होते हैं।

इसके अलावा, छठ पूजा पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देती है, क्योंकि इस पर्व के दौरान लोग साफ-सुथरी नदी, तालाबों और अन्य जलस्रोतों का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार,छठ पूजा हमारे समाज और पर्यावरण को साफ और सुरक्षित रखने का भी संदेश देती है।

छठ पूजा का पर्व सूर्य देव और छठी मैया के प्रति आस्था और श्रद्धा का पर्व है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और इसमें व्रती कठोर उपवास और नियमों का पालन करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे समाज में सामूहिकता, स्वच्छता और समर्पण का भी संदेश देता है।

इस वर्ष, 5 नवंबर से 7 नवंबर तक मनाए जाने वाले इस महापर्व में भक्तगण सूर्य देवता और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। इस पर्व में चार दिनों की अनुष्ठान विधि और हर दिन का महत्व इस पर्व को विशेष बनाता है। इस वर्ष की Chhath Puja भी निश्चित ही करोड़ों लोगों के लिए एक विशेष और आध्यात्मिक अनुभव बनेगी।

छठ पूजा का महापर्व उत्तर भारत के बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से मनाया जाता है, लेकिन आजकल इसकी लोकप्रियता पूरे देश में फैल चुकी है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और इसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस महापर्व को संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य, और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पूजा का पर्व 5 नवंबर से 7 नवंबर तक मनाया जाएगा।

Chhath Puja का महत्व और इतिहास

Chhath Puja का यह पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य देव अपनी नीच राशि में होते हैं, और इस समय उनकी विशेष उपासना करने से स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान होता है। षष्ठी तिथि का संबंध संतान की लंबी आयु से होता है, इसलिए यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा संतान प्राप्ति और उनकी आयु रक्षा के लिए रखा जाता है। इसके अलावा, छठ पूजा से कई पौराणिक कथाएँ और किवदंतियाँ भी जुड़ी हैं, जो इस पर्व को और भी पवित्र बनाती हैं।

छठ पूजा की चार दिवसीय विधि

Chhath Puja चार दिनों तक चलने वाला पर्व है जिसमें प्रत्येक दिन का अपना महत्व और विशेष अनुष्ठान होता है। आइए जानते हैं हर दिन के अनुष्ठानों के बारे में विस्तार से:

1. नहाय-खाय (पहला दिन)

Chhath Puja का पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है। इस दिन व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए नहाय-खाय का अनुष्ठान करते हैं।

व्रती इस भोजन को शुद्धता और भक्तिभाव से ग्रहण करते हैं और इसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।

2. खरना (दूसरा दिन)

Chhath Puja का दूसरा दिन खरना कहलाता है, जिसे लोहंडा-खरना भी कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरा दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के समय विशेष खीर का सेवन करते हैं।

3. डूबते सूर्य को अर्घ्य (तीसरा दिन)

Chhath Puja के तीसरे दिन व्रती उपवास रखते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का अनुष्ठान करते हैं। यह दिन छठ महापर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसमें लाखों लोग सूर्यास्त के समय नदी, तालाब या जलाशयों पर जाकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

4. उगते सूर्य को अर्घ्य (चौथा दिन)

Chhath Puja के चौथे और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दिन व्रती अपने व्रत का समापन करते हैं और यह अनुष्ठान उगते सूर्य के समय होता है। इसे छठ पूजा का अंतिम अर्घ्य कहा जाता है।

छठ पूजा का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

Chhath Puja का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व सामूहिकता, आपसी सहयोग और सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान लोग एकजुट होकर नदी या तालाब किनारे पूजा करते हैं और सभी लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी होते हैं।

इसके अलावा, छठ पूजा पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देती है, क्योंकि इस पर्व के दौरान लोग साफ-सुथरी नदी, तालाबों और अन्य जलस्रोतों का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार, छठ पूजा हमारे समाज और पर्यावरण को साफ और सुरक्षित रखने का भी संदेश देती है।

निष्कर्ष

Chhath Puja का पर्व सूर्य देव और छठी मैया के प्रति आस्था और श्रद्धा का पर्व है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और इसमें व्रती कठोर उपवास और नियमों का पालन करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे समाज में सामूहिकता, स्वच्छता और समर्पण का भी संदेश देता है।

इस वर्ष, 5 नवंबर से 7 नवंबर तक मनाए जाने वाले इस महापर्व में भक्तगण सूर्य देवता और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। इस पर्व में चार दिनों की अनुष्ठान विधि और हर दिन का महत्व इस पर्व को विशेष बनाता है। इस वर्ष कीChhath Puja भी निश्चित ही करोड़ों लोगों के लिए एक विशेष और आध्यात्मिक अनुभव बनेगी।

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