Chandrayaan-3: इस समय 40,400 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से धरती के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. अब 01 अगस्त 2023 की मध्य रात्रि 12 से से 12.30 बजे के बीच इसे लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी में डाला जाएगा. यानी चंद्रयान-3 लंबी यात्रा पर निकलेगा. करीब पांच दिन की यात्रा के बाद यानी 5 अगस्त को यह चंद्रमा की पहली बाहरी कक्षा में जाएगा. यानी लूनर बाउंड नेविगेशन शुरू होगा. अभी धरती से 127609 km x 236 km की ऑर्बिट में घूम रहा है. लेकिन यह अंतहीन अंतरिक्ष में अपना रास्ता कैसे खोज रहा है.क्या इसे स्पेस का कोई जीपीएस मिल गया है. जो इसे रास्ता दिखा रहा है. या फिर यह ध्रुव तारे की मदद ले रहा है.
चंद्रयान-3 धरती के चारों तरफ पांचवें ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है : चंद्रयान-3 में कई सारे कैमरे लगे हैं. स्टार सेंसर्स लगे हैं. जिनके माध्यम से वह अंतरिक्ष में दिशा पता करता है. इसके लिए वह ध्रुव तारा और सूरज की मदद लेता है. रात में ध्रुव तारा और दिन में सूरज से लेता है रास्ते और दिशा का ज्ञान. असल में ध्रुव तारा जिसे पोल स्टार भी कहते हैं. वह उत्तर की दिशा की ओर इशारा करता है
क्या है ISRO की अगली प्लानिंग:
1 अगस्तः इस दिन चंद्रयान-3 को लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी में डाला जाएगा. यानी वह चंद्रमा की तरफ लंबे हाइवे पर चला जाएगा
5 अगस्तः चंद्रयान-3 चंद्रमा की पहली ऑर्बिट में प्रवेश करेगा.
6 अगस्तः चंद्रयान-3 को चंद्रमा की दूसरी कक्षा में डाला जाएगा
9 अगस्तः चंद्रयान-3 को चंद्रमा की तीसरी कक्षा में डाला जाएगा
14 अगस्तः चंद्रयान-3 को चांद की चौथी कक्षा में डालेंगे
16 अगस्तः चंद्रयान-3 की चंद्रमा की ओर पांचवीं ऑर्बिट मैन्यूवरिंग होगी
17 अगस्तः चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे.
अलग होने से पहले दोनों मॉड्यूल चंद्रमा के चारों तरफ 100X100 किलोमीटर की कक्षा में रहेंगे
20 अगस्तः दूसरी बार डीऑर्बिटिंग होगी. चंद्रयान-3 को 100X30 किलोमीटर के लूनर ऑर्बिट में डाला जाएगा.
23 अगस्तः शाम को 5 बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा
लैंडिंग के समय धीरे-धीरे थ्रॉटल कम करेंगे. एक या दो किलोमीटर की ऊंचाई पर आने के बाद करीब 15 मीटर प्रति सेकेंड की गति से नीचे उतरेगा लैंडर के लेग्स तीन किलोमीटर प्रति सेकेंड को बर्दाश्त कर लेंगे. इंजन से निकलने वाले धूल से बचने के लिए ऐसा किया जाएगा.