BSE Share Price में भारी गिरावट, NSE के नए निर्णय से निवेशकों को झटका
भारत के दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) के बीच प्रतिस्पर्धा और बाजार हिस्सेदारी को लेकर एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपने साप्ताहिक निफ्टी ऑप्शंस (F&O) कॉन्ट्रैक्ट्स की समाप्ति तिथि को गुरुवार से सोमवार कर दिया है। इस फैसले का सीधा असर बीएसई (BSE Share Price) के शेयरों पर पड़ा, जिससे इसमें 9% की भारी गिरावट देखी गई।
BSE Share Price में 9% की गिरावट – कारण क्या है?
मार्च 5 की सुबह बीएसई (BSE Ltd.) के शेयरों में अचानक 9% की गिरावट दर्ज की गई, जो इसकी चार महीने की सबसे निचली दर तक पहुंच गई। इस भारी गिरावट का मुख्य कारण NSE द्वारा अपने ऑप्शंस एक्सपायरी शेड्यूल में बदलाव किया जाना माना जा रहा है।
क्या बदलाव किए गए हैं?
- एनएसई ने घोषणा की है कि सभी निफ्टी इंडेक्स के साप्ताहिक फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) कॉन्ट्रैक्ट्स अब सोमवार को समाप्त होंगे, जो पहले गुरुवार को होते थे।
- यह नियम 4 अप्रैल 2025 से लागू होगा।
- बैंक निफ्टी, फिन निफ्टी, निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट और निफ्टी नेक्स्ट 50 के सभी एफएंडओ कॉन्ट्रैक्ट्स भी अब हर महीने के अंतिम सोमवार को समाप्त होंगे।
यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एनएसई की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। एनएसई पहले ही भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है और इस फैसले से उसकी स्थिति और मजबूत हो सकती है।
BSE Share Price में गिरावट का असर
इस फैसले के बाद BSE Share Price में तेज गिरावट देखने को मिली।
- सुबह 9:45 बजे, बीएसई के शेयर 6.4% गिरकर ₹4,163.4 पर ट्रेड कर रहे थे, जो चार महीने का निचला स्तर था।
- विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट एनएसई के नए कदम से निवेशकों की अनिश्चितता के कारण हुई है।
- गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने भी बीएसई के शेयरों की टारगेट प्राइस कम कर दी, जिससे इसमें और गिरावट देखी गई।
NSE ने यह बदलाव क्यों किया?
एनएसई के प्रवक्ता ने कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य सिर्फ लाभ कमाना नहीं है, बल्कि यह बाजार की कार्यकुशलता को ध्यान में रखकर लिया गया फैसला है। उन्होंने बताया कि:
- सप्ताहांत में अंतरराष्ट्रीय बाजारों और भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण बड़े उतार-चढ़ाव देखे जाते हैं।
- सोमवार को एक्सपायरी करने से ट्रेडर्स को अधिक स्पष्टता मिलेगी और बाजार को अधिक स्थिर बनाया जा सकेगा।
- एनएसई को पहले से ही इस बदलाव को लेकर ट्रेडर्स से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही थी।
BSE Share Price गिरने की अन्य वजहें
विश्लेषकों का मानना है कि एनएसई के इस फैसले के अलावा भी कई कारण हैं, जिनकी वजह से BSE Share Price में गिरावट आई।
1. SEBI द्वारा नए नियमों की घोषणा
भारतीय बाजार नियामक SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने हाल ही में निवेशकों के जोखिम की निगरानी के लिए नए नियमों का प्रस्ताव रखा है।
- इस नियम के तहत, प्रोपराइटरी ट्रेडर्स (Proprietary Traders) पर अधिक सख्त नियम लागू हो सकते हैं।
- बीएसई का लगभग 70% औसत दैनिक कारोबार इन्हीं ट्रेडर्स पर निर्भर करता है।
- अगर SEBI अपने नए नियम लागू करता है, तो बीएसई का कारोबार प्रभावित हो सकता है।
2. गोल्डमैन सैक्स द्वारा BSE Share Price की टारगेट प्राइस में कटौती
अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने बीएसई के शेयरों की अनुमानित कीमत घटाकर ₹4,880 कर दी है, जो पहले ₹5,650 थी।
- उन्होंने इस निर्णय की वजह SEBI के नए प्रस्तावों और बाजार में बढ़ती अनिश्चितता को बताया।
- इससे निवेशकों का भरोसा कम हुआ और उन्होंने बीएसई के शेयर बेचना शुरू कर दिया।
क्या BSE Share Price फिर से बढ़ सकता है?
अभी के लिए BSE Share Price दबाव में है, लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जो इसे फिर से ऊपर ले जा सकते हैं:
- बीएसई का तेजी से बढ़ता खुदरा निवेशक आधार – हालांकि प्रोपराइटरी ट्रेडर्स की हिस्सेदारी अधिक है, लेकिन खुदरा निवेशकों की संख्या भी बढ़ रही है।
- नए प्रोडक्ट्स और टेक्नोलॉजी – बीएसई ने हाल ही में कई तकनीकी सुधार किए हैं और नए उत्पाद पेश किए हैं, जो इसे मजबूत बना सकते हैं।
- बाजार में स्थिरता आने के बाद निवेशकों की वापसी – अगर बाजार में स्थिरता आती है, तो निवेशक दोबारा बीएसई के शेयरों में रुचि ले सकते हैं।
निवेशकों के लिए क्या सलाह?
- विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल बीएसई के शेयरों में जल्दबाजी में निवेश करने से बचना चाहिए।
- SEBI के नए नियमों और NSE के बदलावों का असर देखने के बाद ही कोई निवेश निर्णय लेना सही होगा।
- लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए यह गिरावट अवसर भी हो सकता है, लेकिन उन्हें कंपनी के भविष्य के प्लान्स को ध्यान में रखना होगा।
निष्कर्ष: BSE Share Price में गिरावट से निवेशकों में चिंता, लेकिन भविष्य की उम्मीदें बरकरार
एनएसई के इस नए एक्सपायरी शेड्यूल की वजह से बीएसई के शेयरों में गिरावट आई है, लेकिन निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है।
- एनएसई का नया कदम बाजार को अधिक स्थिर बना सकता है, लेकिन बीएसई को नुकसान पहुंचा सकता है।
- SEBI के नए नियमों से बीएसई के ट्रेडिंग वॉल्यूम पर असर पड़ सकता है।
- गोल्डमैन सैक्स द्वारा टारगेट प्राइस घटाने से निवेशकों का आत्मविश्वास कमजोर हुआ।
- हालांकि, लॉन्ग-टर्म में बीएसई के लिए अवसर बने हुए हैं, अगर यह नए बदलावों के साथ अपने बिजनेस मॉडल को अनुकूलित करता है।
क्या BSE Share Price में और गिरावट आएगी या यह वापसी करेगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।
(Disclaimer: यह विश्लेषण केवल जानकारी के उद्देश्य से है। निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।
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