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Bihar Fake IPS: वर्दी खुद खरीदी, ठगी की कहानी निकली झूठी!

Bihar Fake IPS

बिहार में Bihar Fake IPS अफसर बनने की कोशिश: 18 वर्षीय मिथलेश कुमार मांझी की कहानी

बिहार के जमुई जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां 18 वर्षीय मिथलेश कुमार मांझी ने खुद को IPS अधिकारी बताने की कोशिश की। यह घटना तब चर्चा में आई जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मिथलेश पुलिस की वर्दी पहने और पिस्तौल लेकर दिखाई दिए। इस घटना ने पूरे बिहार और देश का ध्यान आकर्षित किया और मिथलेश द्वारा दिए गए बयान ने सबको चौंका दिया।

Bihar Fake IPS  बनने का दावा
मिथलेश कुमार मांझी ने दावा किया कि उन्होंने ₹2 लाख का भुगतान करके खुद को IPS अधिकारी नियुक्त करवाने की कोशिश की थी। उनका कहना था कि एक व्यक्ति ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह उन्हें IPS अधिकारी बना सकता है। इस संबंध में मिथलेश ने बताया कि उन्हें वर्दी और एक नकली पिस्तौल दी गई थी और पुलिस स्टेशन में जाने को कहा गया। इस घटना के बाद, बिहार पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और तथ्यों को उजागर किया।

Bihar Fake IPS की कहानी का खुलासा
20 सितंबर, 2024 को मिथलेश कुमार मांझी बिहार के जमुई पुलिस स्टेशन पहुंचे। उन्होंने IPS अधिकारी की वर्दी पहनी हुई थी और साथ में पिस्तौल भी थी। इस दौरान उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने ₹2 लाख का भुगतान करके खुद को IPS नियुक्त करवाने की योजना बनाई थी। मिथलेश का दावा था कि उन्हें एक व्यक्ति ने ठगा और उन्हें भरोसा दिलाया कि वह उन्हें IPS बना देगा।

यह दावा सामने आने के बाद पुलिस ने मिथलेश से पूछताछ शुरू की। मिथलेश ने बताया कि एक व्यक्ति जिसका नाम मनोज सिंह था, ने उन्हें यह भरोसा दिलाया था कि वह उन्हें IPS अधिकारी बना सकता है। मिथलेश ने अपने मामा से उधार लेकर यह राशि मनोज सिंह को दी थी।

पुलिस जांच में मिथलेश का दावा निकला झूठा
बिहार पुलिस ने इस मामले की जांच की तो सामने आया कि मिथलेश कुमार मांझी का पूरा दावा झूठा था। पुलिस ने उनके मामा से पूछताछ की और उन्होंने इस बात से इंकार किया कि उन्होंने मिथलेश को ₹2 लाख दिए थे। मामा ने बताया कि उन्होंने मिथलेश को अन्य कार्यों के लिए पैसे दिए थे, लेकिन नौकरी के लिए इतनी बड़ी राशि देने का कोई सवाल नहीं था।

पुलिस ने मिथलेश द्वारा दिए गए मनोज सिंह के नाम और मोबाइल नंबर की भी जांच की। हालांकि, जांच में यह भी सामने आया कि मनोज सिंह का नंबर बंद था और किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत था। इसके अलावा, मिथलेश द्वारा दी गई जानकारी की लोकेशन ट्रैकिंग से भी पता चला कि जिस समय उन्होंने कहा कि उन्हें वर्दी दी गई थी, वे उस समय उस स्थान पर नहीं थे।

Bihar Fake IPS बनने की योजना खुद बनाई
जांचकर्ताओं ने यह भी खुलासा किया कि मिथलेश ने खुद यह फर्जी योजना बनाई थी। पुलिस की जांच से यह स्पष्ट हो गया कि मिथलेश का दावा झूठा था और उसने खुद वर्दी खरीदी थी। SHO मिंटू कुमार सिंह ने बताया कि मिथलेश द्वारा दिए गए सभी दावे निराधार पाए गए हैं और जांच अभी भी जारी है।

समाज की प्रतिक्रिया: Bihar Fake IPS की कहानी पर सहानुभूति और सवाल
जब मिथलेश की यह घटना पहली बार सामने आई, तो लोगों में उसके प्रति सहानुभूति थी। सोशल मीडिया पर लोग उसे एक मासूम युवक मान रहे थे जिसे ठग लिया गया था। लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, सच्चाई सामने आने लगी और मिथलेश के प्रति संदेह बढ़ता गया। बिहार पुलिस ने मिथलेश कीBihar Fake IPS बनने की योजना का पर्दाफाश कर दिया, जिसके बाद लोग सवाल करने लगे कि आखिर मिथलेश ने ऐसा क्यों किया?

Bihar Fake IPS बनने की मंशा: एक अनुत्तरित सवाल
यह घटना बिहार में Bihar Fake IPS बनने की कोशिश का एक अनोखा मामला है। जहां पहले मिथलेश को सहानुभूति मिल रही थी, वहीं अब उसकी मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर मिथलेश ने यह सब क्यों किया। हालांकि पुलिस की जांच अभी भी जारी है और आगे चलकर और भी खुलासे हो सकते हैं।

निष्कर्ष:
Bihar Fake IPS बनने का प्रयास और समाज की प्रतिक्रिया

इस पूरी घटना ने न केवल बिहार पुलिस बल्कि पूरे समाज को हैरान कर दिया है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली हर कहानी की सच्चाई पर यकीन करना मुश्किल हो सकता है। मिथलेश कुमार मांझी का Bihar Fake IPS बनने का प्रयास अब सबके सामने आ चुका है और पुलिस इस मामले की जांच के अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

इस घटना ने यह भी सिखाया कि ऐसे मामले में जल्दबाजी में सहानुभूति जताने से पहले पूरी सच्चाई जाननी जरूरी है।Bihar Fake IPS बनने की यह कहानी निश्चित रूप से एक चेतावनी है कि समाज में हर प्रकार की खबर पर बिना जांच-पड़ताल के विश्वास नहीं किया जाना चाहिए।

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