Adani Hindenburg Research New Revelation
New Delhi: 12 अगस्त, सोमवार को अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट के बाद आंशिक रूप से सुधार देखा गया। सुबह के कारोबार में अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स, अडानी पावर, अडानी एनर्जी और अन्य कंपनियों के शेयरों में 5-6 प्रतिशत तक की गिरावट आई थी। यह गिरावट अमेरिकी शॉर्ट सेलर Hindenburg Research की एक नई रिपोर्ट के बाद हुई, जिसमें अडानी समूह पर नए आरोप लगाए गए थे। हालाँकि, दिन के अंत तक अडानी समूह के शेयरों ने कुछ हद तक अपने नुकसान को वापस पा लिया, जिसमें अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स के शेयर 1 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए।
अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों ने हाल के दिनों में हुए नुकसान की भरपाई आंशिक रूप से कर ली है। यह घटना उस समय की है जब अमेरिकी निवेश रिसर्च फर्म Hindenburg Research ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था। Hindenburg Research के इन आरोपों ने न केवल अडानी समूह के शेयरों पर असर डाला बल्कि भारतीय वित्तीय प्रणाली पर भी सवाल खड़े किए।
Hindenburg Research के आरोप
Hindenburg Research, जिसने पहले भी अडानी समूह पर कई आरोप लगाए थे, ने इस बार SEBI की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच को लेकर एक नया आरोप लगाया। Hindenburg Research का दावा है कि माधबी पुरी बुच का अडानी समूह के साथ एक संभावित हितों का टकराव हो सकता है, जो SEBI की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है। इस आरोप के बाद से बाजार में हलचल मच गई और अडानी समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
SEBI और सरकार की प्रतिक्रिया
इन आरोपों के बाद SEBI ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और इस तरह के आरोप SEBI की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास हैं। सरकार ने भी इस मामले पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि वह SEBI की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
बाजार में अडानी समूह के शेयरों की प्रतिक्रिया
Hindenburg Research के आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। कई निवेशकों ने अपने शेयर बेचने शुरू कर दिए, जिससे बाजार में अस्थिरता पैदा हुई। अडानी समूह के प्रमुख शेयर, जैसे अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स, और अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में बड़ी गिरावट आई।
हालांकि, कुछ दिनों बाद, अडानी समूह के शेयरों ने आंशिक रूप से अपनी खोई हुई जमीन वापस पा ली। निवेशकों के एक वर्ग ने इसे एक अवसर के रूप में देखा और सस्ते में अडानी समूह के शेयर खरीदने शुरू कर दिए। इसके परिणामस्वरूप, अडानी समूह के शेयरों में थोड़ी स्थिरता आई और उन्होंने हाल के नुकसान की आंशिक भरपाई की।
निवेशकों की चिंता
Hindenburg Research के आरोपों और उसके बाद अडानी समूह के शेयरों में आई गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। कई निवेशकों को SEBI की अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों के कारण अडानी समूह की कंपनियों की पारदर्शिता और उनके वित्तीय स्वास्थ्य को लेकर शंका होने लगी है।
इस बीच, अडानी समूह ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनके कारोबार में कोई अनियमितता नहीं है और वे सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। समूह ने यह भी कहा कि SEBI द्वारा की जा रही जांच में उन्हें पूरा विश्वास है और वे सभी आवश्यक सहयोग देने को तैयार हैं।
भारतीय वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव
इस पूरे मामले ने भारतीय वित्तीय प्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। हिन्डनबर्ग के आरोप और उसके बाद बाजार में आई गिरावट ने दिखाया कि भारतीय बाजार कितने संवेदनशील हो सकते हैं। SEBI जैसी संस्था की निष्पक्षता पर सवाल उठाने से निवेशकों के मन में शंका पैदा होती है, जो बाजार में अस्थिरता का कारण बन सकती है।
Hindenburg Research की रिपोर्ट में SEBI की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर अडानी समूह के खिलाफ उचित जांच न करने का आरोप लगाया गया था, यह दावा करते हुए कि उनके और अडानी समूह के बीच संभावित हितों का टकराव हो सकता है। SEBI और माधबी पुरी बुच ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा सभी आवश्यक खुलासे किए हैं और उनके पास अडानी समूह में कोई निवेश नहीं है।
इस बीच, निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स में भी सुबह के कारोबार के बाद तेजी आई। निफ्टी 0.25 प्रतिशत की बढ़त के साथ 24,430 पर और सेंसेक्स 0.36 प्रतिशत की बढ़त के साथ 79,993 पर बंद हुआ। SEBI ने हिन्डनबर्ग के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसने हमेशा भारतीय बाजार की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए काम किया है।
नतीजा और आगे का रास्ता
हालांकि अडानी समूह के शेयरों ने आंशिक रूप से अपने नुकसान की भरपाई की है, लेकिन यह मामला अभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। SEBI द्वारा इस मामले की जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
इस मामले ने यह भी दिखाया कि कैसे बड़े कारोबारी घरानों के खिलाफ आरोपों का सीधा असर बाजार पर पड़ता है। निवेशकों को इस स्थिति से सतर्क रहना होगा और अपने निवेश के फैसले लेते समय पूरी जानकारी और समझदारी से काम लेना होगा।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भारतीय वित्तीय बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है, और यह कि SEBI जैसी संस्थाओं की निष्पक्षता को बनाए रखना कितना आवश्यक है
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