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गाजियाबाद हादसा Today Update 2023 : एक साथ उठीं छह अर्थियां धनपुर गांव में नहीं जले चूल्हे

गाजियाबाद हादसा: एक साथ उठीं छह अर्थियां:  मंगलवार सुबह गाजियाबाद में हुए हादसे में छह लोगों की खबर जिसने भी सुनी वहीं सहम गया।
मेरठ के धनपुर गांव के लिए मंगलवार की रात बेहद मनहूस थी। इतनी कि आज तक कभी किसी परिवार पर ऐसा कहर नहीं टूटा। परिवार के छह लोगों की अर्थियां एक साथ उठीं तो हर किसी का कलेजा कांप उठा। महिलाएं बेहोश हो गईं। रुदन मच गया। छह अर्थियों को गांव के श्मशान घाट में ले जाया गया। वहां जगह तक कम पड़ गई। अलग से टीनशेड लगाना पड़ा। एक साथ सामूहिक चिताएं बनाकर तीनों बच्चों, दोनों महिलाओं और नरेंद्र के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस खौफनाक मंजर को देखकर हर किसी का कलेजा कांप उठा। लोग बस यही कह रहे थे कि ऐसा दिन किसी को न दिखाए।
कुछ देर तक देहरी पर रखने के बाद छह अर्थियां एक साथ उठीं तो पूरा गांव उमड़ पड़ा। हर किसी की आंख से आंसू बहने लगे। गांव के श्मशान घाट में एक साथ सामूहिक छह चिताएं बनाई गईं। जितेंद्र के 17 वर्षीय बेटे प्रियांक ने सभी छह शवों को मुखाग्नि दी। पिता जयपाल की हालत बिगड़ने के बाद उनको श्मशान में नहीं ले जाया गया

दीपांशु के जाने का नहीं था मन:  दीपांशु का खाटू श्याम के दर्शन को जाने का मन नहीं था। दोस्त राजन ने बताया कि दीपांशु पहले मना कर रहा था, अचानक सुबह चला गया। दीपांशु सेना में अधिकारी बनना चाहता था, इसके लिए उसने एनडीए की कोचिंग भी शुरू कर दी थी। गांव के लोग कह रहे थे कि वो नहीं जाता तो बच जाता। चीत्कार मचा था। परिवार के छह लोगों की मौत के बाद कोई समझ नहीं पा रहा कि पीड़ित परिवार को ढाढ़स बंधाएं तो कैसे? जयपाल के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे थे। कभी बेटे नरेंद्र का नाम लेते तो कभी बहू अनिता और बबीता का नाम लेकर रोने लगते। तीनों बच्चे दीपांशु, हिमांशु और वंशिका का नाम लेते हुए कई बार बदहवास हो गए।

 

धनपुर गांव में नहीं जले चूल्हे:   मेरठ के धनपुर गांव निवासी परिवार खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए कार में सवार होकर निकला था लेकिन शायद ही किसी को इस बात का अंदेशा था कि खाटू श्याम के दर्शन से पहले ही उन्हें मौत के दर्शन हो जाएंगे। गांव से जब एकसाथ छह अर्थियां निकलीं तो पूरा गांव रो पड़ा।

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